बदायूँ जनपद के कस्बा उसावां में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन ।
बदायूं । मंदाकिनी साहित्य मंच के तत्वावधान में नगर पंचायत अध्यक्ष प्रियंका अनिल सिंह चौहान के निवास पर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दूर-दूर से आए कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं के दिल जीते। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शेर सिंह व अनिल सिंह बौहान रहे। समाजसेवी एवं भाजपा नेता अनिल चौहान ने दीप प्रजालिल कर कार्यक्रम का शुभारंभकिया। उन्होंने नगर के समस्त सम्मानित लोगों को सम्मानित भी किया। 
सम्मेलन में कई जाने-माने कवि सुरेश यादव ,शेर सिंह शेर, कमलकांत तिवारी, डॉ. अरविंद, अशोक कुमार उज्जवल, बारिश, महेश चंद्र मिश्रा, अमित अंबर रामसाए सुल, अब्दुल वहाय खान, जगपाल, रामानंद मिश्रा और रश्मीरती यादव ।वहीं इस अवसर पर नगर के कई अन्य सम्मानित व्यक्ति भी मौजूद रहे।
कवि सम्मेलन में कवियों ने कहा कि
दिल में है इक आवास और एकमा हम हैं तिरंगे को दिया है आरी ।
मुशीर अहमद मुशीर कवि
है बहुत ही अवधेश मेरे देश में भरे सकूं मैं उजालों से सारा वतन
मैंने सुतिकों हालात में खुद को संवारा है, मैं कैसे भुलाउँ आपने किस्सों में मारा है ।
जगमा सजग जायेगे साँप जब तक आस्तीनों के ते भार जाए हौसला कितना भी हो हम जंग होर जायेग
राम नहीं दिढाते भैया में, सोता दिखे न भाभा में। ताले तोड़ रहे हैं हम विश्वास नहीं है चाभी मैं।। पश्चिम की आँधी में उड़कर आज यहाँ आ पहुंचे है, हम कस्तूरी ढूँढ़ है अब कुत्तों की नाथी में।।
-डॉ. अरविद धवल’ कवि
ना किसी हुम्मएँ, ना दौलत को सलाम कराय न तख्त ओटाज़ न शोहरत मेरी बार में फक्त उसका ही मेमार केंचा है खुदा के बाद में सिर्फ मोहब्बत को सलाम करटीई
रश्मीरती कवित्र

इस देश में ही पुनर्जन्म मांगते रसखान । इकबाल का सारे जहाँ से प्यारा हिन्दुस्तान अबुल हमीद जैसे वीर जान दे गये। अस्फाक उल्ला खान के सपने नये नये
नन्दकिशोर पाठक कवि
‘बहुत तामों की आंधिया थी, मगर वो हिल नहीं पाये मेरी सहों में पत्थर ये पर पापा सुक नही पाये
मनी सिंह कवित्री
पाठ जब आचरण का बढ़ते हैं हम शख्सियत अपनी असली दिपाते है हम अपने अंदर के सबक कोण्डा रखा और दशहरे का रावण जलाते हैं हम ।
विवेक यादव अज्ञानी कवि
तुम जो ६० तो मैं फिकर जालगा छ लोगे तो में निखर – मेरे जीवन का बेटाग दर्पण हो तुम मैं तुम्हे देख लूँगा संवर जाऊँगा ।
राम सहाय सूर्य
कह दो भारत की हसर है और सियासतदारे जेण नही जीती जाती है, जग लगे हथियार
कमल कांत तिवारी कीव
निस वसुधा पर मानव बनकर आते रहते है महाकाल जिस वसुध पर पैदा होते सांगा जैसे योद्धा कराल उस रखुधा को व्थत कोटि नमन उसवसुधा को अमित प्रार इस की रात में खेल है वीर शिवा अरू छत्रसाला
सन्तोष कुमार सिंह कवि
साहित्य मेच मंदाकिनी ले आया पंखुडियों मैं उसमें से चुन लाया, अंजुलि भर पंखुडियौ 87 में आयी अंजुलि भर पंखुडियों मंदाकिनी सरल सरस ली भर लायी अंजुलि भर पंखुडियों
रामानन्द मिश्र कवि
भाव कसे भावना का वरण हो गया. कदय के दुखो का रक्षण हो गया; मय में जम जब-जब जगी स्वर्ण मृगकी ललक, जग में तब-तब ही सीता हरब हो गफ ।
अमित वर्मा अम्बर कवि

