Sunday, December 14

पीलीभीत।गन्ने के साथ चुकंदर की खेती किसानो के बेहद लाभकारी बढ़ाएगी गन्ना किसानों के आय के स्रोत : सीमा परोहा

गन्ने के साथ चुकंदर की खेती किसानो के बेहद लाभकारी बढ़ाएगी गन्ना किसानों के आय के स्रोत : सीमा परोहा

बीसी के जरिए एनएसआई निदेशक सीमा परोहा प्रदेश के गन्ना अधिकारियों और किसानों से हुई रूबरू

मुजीब खान

पीलीभीत / राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर की निदेशक सीमा परोहा आज उत्तर प्रदेश के गन्ना अधिकारियों और किसानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से रूबरू हुई जिसमें उन्होंने गन्ने के साथ चुकंदर की खेती को लाभकारी बताई इस दौरान प्रदेश के विभिन्न जनपदों के अधिकारियों द्वारा निदेशक सीमा परोहा से चुकंदर की खेती के टिप्स भी साझा किए गन्ना अधिकारियों और चीनी मिल अधिकारियों द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब निदेशक द्वारा दिए गए ।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान निदेशक डॉ सीमा परोहा द्वारा बताया गया कि गन्ने के साथ चुकंदर की खेती, गन्ना किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी होगी। उन्होंने बताया कि गन्ना एक दीर्घकालिक फसल है, जिसके साथ चुकंदर की खेती अधिक लाभकारी हो सकती है। गन्ने की फसल जहाँ 10-12 महीने में परिपक्व होती है, वहीं पर चुकंदर की फसल 90-120 दिन में तैयार हो जाती है। गन्ने की फसल की अच्छी पैदावार लेने के लिए लाइन से लाईन की दूरी 4 फीट रखी जाती है। इसके बीच में चुकंदर की फसल ली जा सकती है। चुकंदर की फसल में लाईन से लाईन की दूरी 30 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी. रखते हैं। गन्ने के साथ चुकंदर की सह फसली खेती करके किसान भाई अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही जोखिम को घटाकर भूमि का बेहतर उपयोग-कर सकते हैं। चुकंदर से चीनी के साथ साथ एथेनाल उत्पादन भी किया जा सकता है l जैसा कि भारत सरकार की योजना है कि वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20% एथेनाल मिश्रण किया जाय। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए गन्ने के साथ साथ वैकल्पिक स्रोत्रों से एथेनाल उत्पादन की आवश्यकता है। ऐसे में चुकंदर एक अत्यंत उपयोगी स्त्रोत है। क्योंकि चुकंदर में उच्च मात्रा में शर्करा (शुगर कन्टेंट) होती है। चुकंदर से एथेनाल उत्पादन न केवल किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है बल्कि यह देश की उर्जा आत्मनिर्भरता (हरित ऊर्जा ) की दिशा में एक मजबूत कदम है । इस कार्यक्रम में अपर गन्ना आयुक्त (विकास) वी.के. शुक्ल द्वारा चुकंदर की खेती से संबंधित आवश्यक जानकारी, बीज की उपलब्धता एवं उगाए गए चुकंदर की फसल की चीनी मिलों द्वारा खरीद के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई । आज की इस वीडियो कान्फ्रेंसिंग के अवसर पर खुशी राम भार्गव जिला गन्ना अधिकारी पीलीभीत, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक पीलीभीत, मझोला एवं बरखेड़ा तथा कृषक श्री हरि ओम गंगवार ,राजेंद्र सिंह ,जगजीत सिंह , नरेंद्र सिंह, नीरज कुमार , राकेश सागर व अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया ।

चुकंदर की खेती के फायदे:

एसएसआई निदेशक डॉक्टर सीमा परोहा ने गन्ने के साथ चुकंदर की खेती से होने वाले 6 बड़े लाभ बताए जिसमे

कम लागत:

चुकंदर की खेती की लागत गन्ने की तुलना में कम होती है।

कम समय:

चुकंदर की फसल गन्ने की तुलना में जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे मिलों को साल भर काम मिल सकता है।

पानी की बचत:

चुकंदर की खेती में पानी की कम आवश्यकता होती है, जो पानी की कमी वाले क्षेत्रों में फायदेमंद है।

चीनी उत्पादन:

चुकंदर से चीनी का उत्पादन गन्ने से भी किया जा सकता है, जो चीनी मिलों के लिए एक विकल्प है।

फसल चक्र में बदलाव:

गन्ने के साथ चुकंदर की खेती से फसल चक्र में बदलाव किया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीटों और बीमारियों से बचाव होता है।

इथेनॉल उत्पादन:

चुकंदर से इथेनॉल का उत्पादन भी किया जा सकता है, जो ऊर्जा के एक नवीकरणीय स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण है।

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