घी की सच्चाई पर सवाल: क्या देशभर में नकली दूध-घी का कारोबार चल रहा है?
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर
। देश में दूध और घी के बढ़ते दामों के बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है — जब एक किलो शुद्ध घी बनाने में करीब 25 लीटर दूध लगता है, जिसकी कीमत लगभग ₹1400 बैठती है, तो अमूल, मदर डेयरी जैसी बड़ी कंपनियाँ ₹525 से ₹600 में 900 ग्राम घी कैसे बेच रही हैं?
यह सवाल अब सोशल मीडिया से लेकर आम जनता तक चर्चा का विषय बन गया है। उपभोक्ता लगातार पूछ रहे हैं कि क्या ये कंपनियाँ घाटे में घी बेच रही हैं, या फिर बाजार में नकली दूध और मिलावटी घी का जाल फैला हुआ है।
घी की गुणवत्ता और उत्पादन लागत के बीच का यह अंतर न केवल उपभोक्ताओं के विश्वास पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि खाद्य सुरक्षा के नियामक FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) पर भी जांच की जिम्मेदारी डालता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शुद्ध देसी घी तैयार करने में 20–25 लीटर शुद्ध दूध की आवश्यकता होती है, और यदि दूध की औसत कीमत ₹55–₹60 प्रति लीटर मानी जाए, तो एक किलो शुद्ध घी की लागत ₹1300 से ₹1500 तक पहुँचती है। ऐसे में यदि घी मात्र ₹525 से ₹600 में बिक रहा है, तो यह उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता या स्रोत पर गंभीर संदेह पैदा करता है।
सोशल मीडिया पर लोग #FakeGhee #FSSAI_Investigation जैसे हैशटैग चलाकर सख्त जांच की मांग कर रहे हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि “अगर बड़ी कंपनियाँ इतनी सस्ती दरों पर घी बेच रही हैं, तो या तो दूध मिलावटी है या घी में रासायनिक मिश्रण का इस्तेमाल हो रहा है।”
अब सवाल है — क्या FSSAI और सरकार इस मुद्दे की निष्पक्ष जांच करेगी?
देशभर में हर घर की रसोई तक पहुँच चुके घी की शुद्धता को लेकर लोगों में बढ़ती चिंता अब प्रशासनिक कार्रवाई की माँग कर रही है।
👉 जनता की माँग:
सभी ब्रांडेड और लोकल घी की FSSAI प्रयोगशालाओं में सैंपल टेस्टिंग हो।
उत्पादन प्रक्रिया और दूध के स्रोत की पारदर्शी जानकारी सार्वजनिक की जाए।
मिलावट पाए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
जब तक इसकी सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक यह सवाल कायम रहेगा —
“क्या हम जो घी खा रहे हैं, वह सच में शुद्ध है?”

