Tuesday, December 16

नई दिल्ली।भारत के पहले ISS यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष में बिताकर लौटे, कैलिफोर्निया के पास समुद्र में लैंडिंग।

भारत के पहले ISS यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष में बिताकर लौटे, कैलिफोर्निया के पास समुद्र में लैंडिंग।

नई दिल्ली / कैलिफोर्निया।

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में बिताने के बाद 15 जुलाई को धरती पर सकुशल लौट आए। वे ISS पर जाने वाले पहले भारतीय हैं। उनकी अंतरिक्ष यात्रा का समापन अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के ‘स्प्लैशडाउन’ के साथ हुआ।

शुभांशु स्पेसएक्स, नासा, इसरो और प्राइवेट कंपनी एक्सियम स्पेस के साझा एक्सियम मिशन-4 का हिस्सा थे। इस मिशन के तहत वे 26 जून को ISS पहुंचे थे और 14 जुलाई को वहां से शाम 4:45 बजे रवाना हुए। लगभग 23 घंटे की यात्रा के बाद 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे वे धरती पर लौटे।

शुभांशु की उपलब्धियाँ

अंतरिक्ष में 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया, जिनमें से 7 प्रयोग भारत के थे।

मेथी और मूंग के बीज अंतरिक्ष में उगाए।

हड्डियों की सेहत, माइक्रो एल्गी, और मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव पर शोध किया।

28 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लाइव वीडियो कॉल की, जिसमें गाजर का हलवा साझा करने की बात भी हुई।

3, 4 और 8 जुलाई को भारत के छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से संवाद किया।

6 जुलाई को ISRO के प्रमुख और वैज्ञानिकों से बातचीत कर गगनयान मिशन के बारे में जानकारी साझा की।

ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की खूबसूरत तस्वीरें लीं।

41 साल बाद अंतरिक्ष में कोई भारतीय

भारत के लिए यह ऐतिहासिक क्षण इसलिए भी खास है क्योंकि शुभांशु से पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी। अब 41 साल बाद शुभांशु ने भारत को फिर से अंतरिक्ष में गौरव दिलाया है।

PM मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु की वापसी पर कहा, “मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से पृथ्वी पर वापसी के लिए स्वागत करता हूं। उन्होंने समर्पण और साहस से अरबों भारतीयों को प्रेरित किया है। यह गगनयान मिशन की दिशा में एक और मील का पत्थर है।”

क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?

ISS एक ऐसा बड़ा अंतरिक्ष यान है जो पृथ्वी की निचली कक्षा में 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगाता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है। इसमें वैज्ञानिक अंतरिक्ष में रहकर शोध कार्य करते हैं।

कितना खर्च आया?

भारत ने इस मिशन के लिए एक्सियम स्पेस को 548 करोड़ रुपए चुकाए। यह अब तक का सबसे हाई-प्रोफाइल प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन माना जा रहा है।

शुभांशु का यह अनुभव भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ में अहम भूमिका निभाएगा, जिसकी लॉन्चिंग 2027 में प्रस्तावित है। इसमें भारतीय गगनयात्री पृथ्वी की कक्षा में जाएंगे और सुरक्षित लौटेंगे। शुभांशु शुक्ला अब भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ चुके हैं – प्रेरणा, विज्ञान और साहस का प्रतीक बनकर।

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