Tuesday, December 16

देवरिया।सच्चे लोकतान्त्रिक भारत के निर्माण के लिए डॉ. अंबेडकर के अधूरे रह गये संघर्षों को मंजिल तक पहुंचाना होगा: शिवाजी राय ।

देवरिया।सच्चे लोकतान्त्रिक भारत के निर्माण के लिए डॉ. अंबेडकर के अधूरे रह गये संघर्षों को मंजिल तक पहुंचाना होगा: शिवाजी राय ।

 अंबेडकर जयंती पर शुरु किये गये सप्ताहिक (14-20 अप्रैल) जन -अभियान जारी

राजेश।देवरिया

 भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)के तत्वावधान में जारी साप्ताहिक जनअभियान के छठवें दिन बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती बघडा-महुआरी गांव में मुंशी प्रेमचंद पुस्तकालय व वाचनालय के प्रांगण में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व विधायक दीनानाथ कुशवाहा और संचालन भाकपा माले के जिला सचिव का श्रीराम ने किया। संचालन करते हुए का श्रीराम ने कहा कि मौजूदा दौर में जब डॉ अंबेडकर लिखित भारतीय संविधान पर हमले हो रहे हैं और संवैधानिक लोकतंत्र को फासीवादी निजाम में बदलने की कोशिशें तेज हो गई हैं, बाबा साहब के विचारों, संघर्षों और भारतीय समाज व राजनीति में उनके योगदान को याद करना, उनके रास्ते पर आगे बढकर उन्हें सम्मानित करना और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।

पूर्व विधायक दीनानाथ कुशवाहा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस सत्ता के सहारे संघ यानी आरएसएस देश में जो फासीवाद स्थापित करना चाहता है, उसकी राह में भारतीय संविधान सबसे बड़ी बाधा है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन आरएसएस के विनाशकारी दर्शन को अस्वीकार करके आगे बढ़ा था।

डॉ अंबेडकर की अध्यक्षता में जब देश का संविधान जब बन रहा था और लागू हुआ, संघ उसके खिलाफ था। वह आज भी उसके खिलाफ है, क्योंकि मनुस्मृति ही उसके लिए देश का संविधान है। भारतीय संविधान स्वतंत्रता आंदोलन से निकला है, जिसकी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चेतना के निर्माण में कम्युनिस्टों की अहम भूमिका थी और यह संविधान में परिलक्षित हुई। वहीं संघ की स्वतंत्रता आंदोलन में कोई भूमिका नहीं थी और वह इसके खिलाफ था।

भारत का संविधान देश को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र बनाने की बात कहता है। धर्म, जाति, लिंग या भाषा के आधार पर भेदभाव का विरोध करता है। सदियों से सताए समूहों को बराबरी के स्तर पर लाने के लिए विशेष अवसर देने का प्रावधान करता है। न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की बात करता है। ये बातें संविधान की प्रस्तावना में निहित हैं। यह प्रस्तावना ही आज के दौर में संविधान और लोकतंत्र के रक्षकों के लिए घोषणापत्र है।

डॉ अंबेडकर जातिप्रथा के विनाश, पितृसत्ता के चंगुल से महिलाओं की मुक्ति, उनकी आजादी और बराबरी के हिमायती थे। उन्होंने कहा था।

“मैं किसी समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति के स्तर से मापता हूं।” बहुजनों के प्रति उनकी विशेष चिंता थी और समतामूलक समाज के निर्माण में उनके हितों को प्राथमिकता देते थे। 

       संघ-भाजपा को पता है, जब तक उन्हें भारत के संविधान के तहत काम करना है, हिन्दू राष्ट्र की उनकी दाल नहीं गलने वाली है। इसीलिए अंबेडकर के प्रति दिखावटी सम्मान व्यक्त करने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। कुछ मूर्तियां लगाकर, उनके कुछ स्मारक बनाकर वे अंबेडकर को हड़पने और यहां तक कि नफरत और झूठ के अपने फासीवादी एजेंडे के लिए उनका उपयोग करने की कोशिश करते हैं।

   कार्यक्रम में राजेश आजाद ,हरे राम ,प्रेम प्रेमलता पांडे संजय दीप कुशवाहा ऋषिकेश यादव ओम प्रकाश कुशवाहा हरिराम राय शिवाजी राय दीनानाथ कुशवाहा जनार्दन शाही श्री राम कुशवाहा,सूर्य प्रकाश पाण्डेय,रामदुलारे सिंह,जयंती,राय, सुदामा कुशवाहा,विंदू प्रकाश राय, बृजकिशोर राय, परशुराम राय, ठाकुर राय,राजीव राय,निर्भय राय आदि लोगों ने अपने अपने विचारों को रखा।

 

 

 

 

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