Wednesday, December 17

शाहजहांपुर।जब नदी में घुसने को तैयार नहीं हुए गोताखोर तो बेटों ने मगरमच्छों के बीच से निकाला पिता का शव

जब नदी में घुसने को तैयार नहीं हुए गोताखोर तो बेटों ने मगरमच्छों के बीच से निकाला पिता का शव

नदी में डूब रहे भतीजे को बचाने के चक्कर में वृद्ध बन गया था मगरमच्छ का शिकार प्रशासन ने खड़े किए हाथ

मुजीब खान

शाहजहांपुर । बीते दिन थाना तिलहर क्षेत्र में पड़ने वाली गर्रा नदी में मछली पकड़ने गए चाचा भतीजा भतीजे को मगरमच्छ ने पकड़ लिए उसके चाचा उसे बचाने को नदी में कूद गए भतीजा तो बच गया लेकिन चाचा को नदी में मौजूद मगरमच्छ ने अपना शिकार बना लिया मौके पर पहुंची पुलिस और वन विभाग की टीम और गोताखोरों ने मगरमच्छ के डर से नदी में उतरने से इनकार कर दिया और साधनों का अभाव बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया तो बुजुर्ग के बेटो ने नदी में घुसकर मगरमच्छों से भिड़कर अपने पिता के शव को बाहर निकाला लेकिन तब तक बुजुर्ग का एक पैर मगरमच्छ खा चुके थे। बेटों द्वारा अपने पिता के शव की तलाश के दौरान पुलिस और वन विभाग की टीम तमाशबीन बनी खड़ी नजारा देखती रही ।

जानकारी के अनुसार चाचा-भतीजा नदी में मछली पकड़ने गए थे। भतीजे को बचाने के चक्कर में मगरमच्छ चाचा को गहरे पानी में खींच ले गया। भतीजे की चीख सुनकर परिजन और ग्रामीण मौके पर पहुंचे। पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों को बुलाया गया। जब परिजनों ने लापता व्यक्ति को तलाशने को कहा तो वन विभाग के अधिकारी बोले- टाइम लगेगा, बरेली से बोट मंगाने पड़ेगी। गोताखोर तक नहीं बुलाए। ऐसा भी कहा जा रहा है कि कोई गोताखोर नदी में कूदने को तैयार नहीं था। इसके करीब 11 घंटे बाद बेटे और भतीजों ने पानी से शव को निकाला। घटना तिलहर थाना क्षेत्र के शिकारपुर गांव की है। शिकारपुर गांव के महिपाल दोपहर करीब 12 बजे तिलहर थाना क्षेत्र की गर्रा नदी में मछली पकड़ने गए थे। जैसे ही उन्होंने नदी में जाल डाला, मगरमच्छ ने भतीजे गुड्डू पर हमला कर दिया। चाचा महिपाल ने भतीजे को तो बचा लिया, लेकिन उसी दौरान मगरमच्छ ने उनके पैर को जकड़ लिया और पानी में खींच ले गया। गुड्‌डू ने अपनी साइकिल करीब 2 किलोमीटर तक दौड़ा कर लोगों से मदद मांगी, पर कोई मदद नहीं मिली। गुड्डू किसी तरह घर पहुंचा और घटना की जानकारी दी। परिजन और गांव वाले तुरंत नदी पहुंचे। करीब दो बजे वन विभाग, 1076 और डायल 112 पर कई बार कॉल किया गया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। करीब चार बजे 112 की टीम पहुंची, थाने की पुलिस 5 बजे आई और वन विभाग की टीम शाम 6 बजे मौके पर पहुंची।

टार्च की रोशनी में भतीजे और बेटे ने किया रेस्क्यू

टॉर्च की रोशनी में शव को नदी से बाहर निकाला परिजन और ग्रामीण 6 घंटे तक पुलिस और वन विभाग से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन प्रशासन ने सिर्फ आश्वासन दिया। देर रात तक महिपाल के परिजन मौके पर मौजूद रहे। रात 10:30 बजे टॉर्च जलाकर देखा तो नदी में एक शव उतराता दिखा। अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, पर कोई आगे नहीं आया। अंत में बेटों ने अधिकारियों के सामने खुद ही नदी में छलांग लगा दी। टॉर्च की रोशनी के सहारे करीब 20 मिनट बाद शव को बाहर निकाला।

एम्बुलेंस तक नहीं आई, बाइक से ले गए अस्पताल शव मिलने के बाद भी परिजनों को महिपाल के जिंदा होने की उम्मीद थी, क्योंकि वे अच्छे तैराक थे। एम्बुलेंस न होने के कारण परिजन उन्हें बाइक पर बिठाकर नजदीकी अस्पताल तक ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। महिपाल के बाएं पैर का पंजा बुरी तरह कटा हुआ था, जिसे मगरमच्छ खा गया था। हाथ में भी गहरे जख्म थे।

महिपाल के बेटे परशुराम ने कहा- हमने अपने पिता को नदी से खुद निकाला, अधिकारी सिर्फ खड़े रहकर देख रहे थे। बरेली से बोट मंगाने की बात कहकर वक्त बर्बाद किया गया। घटना पर हमने डीएफओ से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनके सीयूजी नंबर पर कॉल रिसीव नही हुई।

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