
खलारी थाना क्षेत्र में पर्यावरण संकट: नदियों और जंगलों का स्वरूप बिगड़ता जा रहा।
रांची (झारखंड) विनीत कुमार
खलारी थाना डकरा क्षेत्र में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। फागुन के महीने में जहां पहले दामोदर, सपही और सोनाडुबा नदियां कल-कल बहती थीं, वहीं अब ये सूखी और वीरान नजर आ रही हैं। क्षेत्र में विकास तो हुआ, लेकिन इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन भी बढ़ा, जिससे पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ा है।
भूमिगत खदानों और खुले खनन कार्यों के कारण जंगलों का ह्रास हो रहा है। रोहिणी खुली खदान क्षेत्र का हाल बदतर हो चुका है। पहले इस क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से पलाश, सखुआ, महुआ, कोरिया, धावै, भेलवा, केंद और पियार जैसे पारंपरिक पेड़-पौधे पाए जाते थे, लेकिन अब इनके स्थान पर चकुंडि, अकासिया और गुलमोहर जैसे पौधे लगाए जा रहे हैं, जो इस इलाके की पारिस्थितिकी के अनुकूल नहीं हैं।
पर्यावरणविद उमेश मेहता ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,
“कोयलांचल क्षेत्र में तेजी से जंगलों की कटाई और अवैज्ञानिक खनन के कारण न केवल जलस्तर घट रहा है, बल्कि जैव विविधता भी नष्ट हो रही है। प्रशासन को चाहिए कि पारंपरिक पौधों का संरक्षण सुनिश्चित करे और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए ठोस उपाय करे। यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र गंभीर पर्यावरणीय संकट से जूझेगा।” खदानों के बढ़ते दायरे और जंगलों के कटाव के कारण जल, जंगल और जमीन के प्राकृतिक स्वरूप में भारी बदलाव आ रहा है। इस गंभीर स्थिति में सुधार लाने के लिए वन क्षेत्र पदाधिकारी और वन रक्षकों को अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाने की आवश्यकता है। वहीं, सीसीएल के पर्यावरण संरक्षण विभाग को भी ठोस कदम उठाने होंगे। यदि प्रशासन, पर्यावरणविद, श्रमिक और ग्रामीण एक साथ मिलकर सार्थक प्रयास करें, तो इस कोयलांचल क्षेत्र के जंगलों और जलस्रोतों को संरक्षित किया जा सकता है।

