Sunday, December 14

जौनपुर।जयगुरुदेव आश्रम में पंकज महाराज का प्रवचन — “मनुष्य शरीर सबसे दुर्लभ, साधना से ही मिलता है परमात्मा का साक्षात्कार”

जयगुरुदेव आश्रम में पंकज महाराज का प्रवचन —मनुष्य शरीर सबसे दुर्लभ, साधना से ही मिलता है परमात्मा का साक्षात्कार”

जौनपुर। जयगुरुदेव धाम के संत पंकज महाराज ने सोमवार को बदलापुर तहसील अंतर्गत ग्राम सभा गौरा में अपने प्रवचन में कहा कि यह मनुष्य शरीर ईश्वर की सबसे बड़ी देन है, जिसे पाकर भी अधिकांश लोग इसकी कद्र नहीं करते। उन्होंने कहा कि जीव अपने कर्मों के अनुसार 84 लाख योनियों में भटकता रहता है और अंत में मनुष्य जन्म पाता है। यह मानव देह देवताओं को भी दुर्लभ है।

महाराज ने कहा कि भगवान राम ने भी कहा था — “बड़े भाग्यवान हैं वे, जिन्हें मनुष्य तन मिला।” ईसा मसीह ने भी इसे ‘जीवित ईश्वर का मंदिर’ बताया है। कबीर साहब ने स्पष्ट किया कि हर हृदय में वही परमात्मा विराजमान है, बस पहचान की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि संतों और महात्माओं ने सृष्टि के आरंभ से लेकर आज तक परमात्मा को पाने के तीन साधन बताए — सुमिरन, ध्यान और भजन।

सुमिरन का अर्थ है गुरु नाम का सतत स्मरण, ध्यान का अर्थ है दिव्य दृष्टि को एकाग्र कर गुरु के स्वरूप का चिंतन करना, और भजन का अर्थ है भीतर गूंज रही दिव्य ध्वनि (शब्द) को सुनना।

पंकज महाराज ने कहा कि “कबीर साहब, गुरु नानक, रैदास, मीराबाई, सूरदास— सभी ने ‘सुरति-शब्द नाम योग’ के द्वारा ही ईश्वर को प्राप्त किया।” उन्होंने श्रोताओं को निर्देश दिया कि प्रतिदिन समय निकालकर आंखें बंद करें, दोनों भौंहों के मध्य ज्ञान को रोकें और “जय गुरुदेव” नाम का सुमिरन करें। इससे आत्मा का प्रकाश भीतर प्रकट होगा।

उन्होंने कहा कि हर युग में महात्मा किसी न किसी दिव्य नाम को जगाते हैं — कबीर साहब ने “साहब नाम”, गुरु नानक ने “वाहेगुरु”, गोस्वामी तुलसीदास ने “राम नाम”, मीराबाई ने “गिरधर”, और सूरदास ने “श्याम नाम” को सिद्ध किया। उसी परंपरा में जयगुरुदेव महाराज ने “जय गुरुदेव नाम” को जगाया, जो इस युग का मोक्षदायी नाम है।

अंत में पंकज महाराज ने कहा कि माता-पिता हमारे पहले गुरु हैं, शिक्षक दूसरे गुरु, और आध्यात्मिक मार्गदर्शक तीसरा गुरु जो आत्मा को परमात्मा से मिलाते हैं। उन्होंने उपदेश दिया — “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर — गुरु के बिना कोई भी ज्ञान पूर्ण नहीं होता।”

प्रवचन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे और “जय गुरुदेव” के उद्घोष से वातावरण गुंजायमान होता रहा , इस मौके पर रामासरे प्रजापति, राममिलन वर्मा, सुरेन्द्र प्रजापति, नीलेश सिंह, राहुल सरोज, आनंद सिंह मौजूद रहे।

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