Tuesday, December 16

बलिया।TBI-PBI कार्यक्रम की जांच जरूरी, CHO द्वारा संजीवनी कार्यक्रम में लापरवाही उजागर — रिपोर्ट के आधार पर मानदेय रोकने की मांग

TBI-PBI कार्यक्रम की जांच जरूरी, CHO द्वारा संजीवनी कार्यक्रम में लापरवाही उजागर — रिपोर्ट के आधार पर मानदेय रोकने की मांग

अमर बहादुर सिंह बलिया शहर 

बलिया। शासन द्वारा संचालित संजीवनी कार्यक्रम के तहत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) को अपने-अपने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (HWC) पर रहकर क्षेत्र में भ्रमण करते हुए मरीजों की पहचान और TBI (Tuberculosis Index) के माध्यम से स्क्रीनिंग का कार्य करना होता है। इस कार्य के लिए शासन द्वारा CHO को 15 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है।

लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल भिन्न दिखाई दे रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकांश CHO अपने क्षेत्र में निर्धारित TBI और PBI (Performance Based Incentive) संबंधी कार्य नहीं कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार यदि इनके कार्यों की ब्लॉक स्तर पर जांच की जाए, तो इनका कार्य निष्पादन सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत तक ही पाया जाएगा। इसके बावजूद विभागीय लेन-देन और आपसी समझौते के आधार पर कई CHO TBI-PBI का मानदेय प्राप्त कर रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि यह पूरा कार्य “तुम मुझे, मैं तुम्हें” के सिद्धांत पर चल रहा है, जिससे शासन की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं और असली लाभार्थी तक सेवाएं नहीं पहुंच पा रही हैं।

इस स्थिति पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग से यह मांग उठी है कि मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) बलिया द्वारा सभी ब्लॉकों को आदेश जारी किया जाए कि प्रत्येक CHO से मासिक रिपोर्ट अनिवार्य रूप से ली जाए, और उनके द्वारा किए गए TBI-PBI संबंधी कार्यों की जांच रिपोर्ट के आधार पर मानदेय का भुगतान किया जाए।

यदि कोई CHO अपने निर्धारित कार्य जैसे — मरीजों की खोज, स्क्रीनिंग, रिपोर्टिंग, और फॉलो-अप — पूरा नहीं करता है, तो उसका मानदेय रोका जाए या काट लिया जाए।

इस कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन की मुख्य जिम्मेदारी DCPM (District Community Process Manager) की बताई जा रही है, जिन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर CHO अपने क्षेत्र में संजीवनी कार्यक्रम को सही ढंग से लागू करे।

जिला स्तर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस योजना की पारदर्शी जांच प्रणाली लागू की जाए, तो न केवल शासन का धन बचाया जा सकेगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक पहुँच भी सुनिश्चित होगी।

“स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार तभी संभव है जब मैदान में कार्यरत कर्मचारी ईमानदारी से अपना दायित्व निभाएं,” एक स्वास्थ्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।

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