Tuesday, December 16

बलिया।बच्चों की समस्याओं को समझे बिना पूर्ण शिक्षण संभव नहीं: “शिक्षकों को बच्चों की समस्याओं से होना होगा रूबरू: उप शिक्षा निदेशक/प्राचार्य शिवम पांडे”

बच्चों की समस्याओं को समझे बिना पूर्ण शिक्षण संभव नहीं: “शिक्षकों को बच्चों की समस्याओं से होना होगा रूबरू: उप शिक्षा निदेशक/प्राचार्य शिवम पांडे”

 संजीव सिंह बलिया।राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापन कर रहे शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के उद्देश्य से प्रदेश के सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में एकीकृत संपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पकवाइनार, बलिया में प्रशिक्षण का 9वां बैच आज मां सरस्वती के पूजन-अर्चन के साथ प्रारंभ हुआ। इस बैच में शिक्षा क्षेत्र दुबहर, बेलहरी, पंदह, सियर तथा नगरा के शिक्षकों को 6 अक्टूबर 2025 से 13 अक्टूबर 2025 तक पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।उद्घाटन सत्र में संस्थान के प्राचार्य शिवम पांडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रभावी कक्षा प्रबंधन कौशल, विविध शैक्षिक दृष्टिकोण और शिक्षण शैलियों से परिचय कराना अत्यंत आवश्यक है, जिससे शिक्षक अपने अनुभव और अनुभवात्मक ज्ञान को उपलब्ध संसाधनों के साथ जोड़ सकें। उन्होंने कहा कि बच्चों की समस्याओं को समझे बिना शिक्षण की पूर्णता संभव नहीं है और हर शिक्षक को बच्चों के मानसिक स्तर से रूबरू होना चाहिए।प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी मृत्युंजय सिंह ने शिक्षकों के समय से प्रशिक्षण में प्रतिभाग की आवश्यकता पर बल दिया। हिंदी विषय के प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रशिक्षण तब सार्थक होगा जब शिक्षकों की समग्रता विकसित हो। डायट प्रवक्ता जानू राम ने शिक्षक योजनाओं के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम प्रभारी रवि रंजन खरे ने पांच दिवसीय प्रशिक्षण मॉड्यूल की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत की और शिक्षकों का आह्वान किया कि वे धैर्यपूर्वक अपने को समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाएं। मनोविज्ञान विषय के प्रवक्ता देवेन्द्र कुमार सिंह ने बच्चों के मानसिक विचलन की गहन समझ पर जोर दिया।इस प्रशिक्षण में तकनीकी सहयोग पूर्व अकैडमिक रिसोर्स पर्सन डॉ. शशि भूषण मिश्रा, संतोष कुमार तथा शिक्षक चंदन मिश्रा द्वारा प्रदान किया जा रहा है। प्रशिक्षण के प्रथम दिन शिक्षकों में उत्साह और सीखने का अदम्य संकल्प दृष्टिगोचर हुआ।

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