Tuesday, December 16

बदायूँ सांसद आदित्य यादव ने उप मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर राजकीय मेडिकल कॉलेज की जर्जर व्यवस्था एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की गम्भीर कमियों के सन्दर्भ में अवगत कराया।

बदायूँ सांसद आदित्य यादव ने उप मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर राजकीय मेडिकल कॉलेज की जर्जर व्यवस्था एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की गम्भीर कमियों के सन्दर्भ में अवगत कराया।

बदायूं ।सपा सांसद आदित्य यादव ने राजकीय मेडिकल कॉलेज की दुर्दशा के संबंध में उपमुख्यमंत्री चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण तथा मातृ एवं शिशु कल्याण उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को पत्र के माध्यम से अवगत कराया ।वहीं पत्र मे सांसद ने लिखा कि संसदीय क्षेत्र बदायूॅ के नागरिकों की ओर से आपका ध्यान यहां स्थित राजकीय मेडिकल कालेज की दुर्दशा की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूॅ। हाल ही में मेरे निरीक्षण एवं नागरिकों की शिकायतों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि राजकीय मेडिकल कालेज की व्यवस्था अत्यन्त लचर एवं चिन्ताजनक स्थिति में है। मरीजों और उनके परिजनों को उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है। इसके साथ-साथ यह भी अवगत कराना है कि जुलाई वर्ष-2023 में आईसीयू में वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज के अंगो को चूहे के कुतरने का मामला सामने आया था। अक्टूबर-2024 में गले में संक्रमण की समस्या से परेशान 10 वर्ष की बच्ची को लेकर उसके परिजन राजकीय मेडिकल काॅलेज आए लेकिन खेल में व्यस्त रहे डाॅक्टरो ने इलाज मंें लापरवाही बरती मासूम बच्ची तडपती रही और उसकी जान चली गयी। दिसम्बर-2024 में जनपद सम्भल के तहसील गुन्नौर के एक मरीज ने इलाज के अभाव में मेडिकल काॅलेज के छत से कूदकर आत्महत्या कर ली। ऐसी बहुत सी घटनाएं इस मेडिकल काॅलेज में घटित हो चुकी हैं। जो, राजकीय मेडिकल काॅलेज प्रशासन की घोर लापरवाही का परिणाम है।

      निरीक्षण के दौरान एवं प्राप्त शिकायतों के अुनसार निम्न समस्याएॅ विशेष रूप पाई गईः

1-ओ0पी0डी0 काउंटरो की भारी कमी-मरीजों की लंबी कतारें लगती हैं, जिससे उन्हें घंटों प्रतीक्षा करनी पडती है।

2-आॅपरेशन थिएटर एवं डायलिसिस पोर्ट की कमी-गम्भीर रोगियों के उपचार में अत्यधिक विलंब हो रहा है।

3-डायलिसिस प्लांट बन्द-मरीजों को बाहर निजी संस्थानों पर निर्भर होना पडता है।

4-वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं-आपातकालीन स्थिति में मरीजों की जान पर संकट बना रहता है।

5-पी0आई0सी0यू0 यूनिट बंद-बच्चों के उपचार में गम्भीर बाधाएॅ उत्पन्न हो रही है।

6-आवश्यक जीवनरक्षक दवाओं की भारी कमी-कई मरीजों के परिजन बाहर से महॅगी दवाएॅ खरीदने को विवश है।

7-डाॅक्टरों द्वारा बाहर से दवा लिखना-मरीजों के परिजनों द्वारा बताया गया है कि डाॅक्टर अस्पताल में उपलब्ध दवाओं के बजाय बाहर से दवाएॅ लिखते है।

8-वार्डो एवं भवन की जर्जर स्थिति-बेड,छत एवं अन्य व्यवस्थाएॅ अत्यन्त दयनीय हाल में है।

9-नर्सिग एवं पैरामेडिकल स्टाफ को महीनों से सैलरी न मिलना-जिससे उनकी कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है और मरीजों को सीधी परेशानी झेलनी पड रही है।

10-आॅक्सीजन प्लांट खराब होने से सिलेंडर बाहर से मंगवाया जा रहा है-इससे सुरक्षा और पारदर्शिता पर गम्भीर प्रश्न उठते है।

     बदायूॅ राजकीय मेडिकल काॅलेज केवल बदायूॅ ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों-फर्रूखाबाद, एटा, कासगंज, बरेली, सम्भल आदि क्षेत्रों के भी हजारों मरीजों की आशा का केन्द्र है। ऐसी स्थिति में इसका बदहाल होना आम जनता के स्वास्थ्य अधिकारों पर सीधा आघात है।

वहीं बदायूं सांसद ने लिखा कि उपरोक्त गम्भीर समस्याओं के समाधान हेतुः

  • तत्काल उच्चस्तरीय जाॅच समिति गठित की जाए।
  •  आवश्यक संसाधनों एवं चिकित्सकों की नियुक्ति शीघ्र की जाए।
  • जीवरनरक्षक उपकरण एवं दवाओं की आपूर्ति नियमित की जाए।
  • राजकीय मेडिकल कालेज की समग्र व्यवस्था को सुदृढ किया जाए।

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