
मुजीब खान
शाहजहांपुर / जो पिता अपनी औलाद के ऐशो आराम के लिए दुनिया भर की मुसीबतें झेल कर उसको हर सुख देने का प्रयास करता है औलाद का एक दुख उससे देखा नही जाता पिता के योगदान को झुठलाया नहीं जा सकता लेकिन यदि कल्पना की जाए की यही पिता अपनी उसी औलाद का कातिल बन जाए तो था।
कल्पना बेमानी और झूठ लगेगी लेकिन इस कल्पना को सच कर दिखाया शाहजहांपुर के थाना सिंधौली क्षेत्र में एक पिता ने जिसने अपने इस मासूम पुत्र को जो थोड़ा बहुत मानसिक रूप से विछिप्त भी था उसे अपने चचेरे भाई से रंजिश का शिकार बनाते हुए अपने चचेरे भाई को झेल भिजवाने की धुन में अपने ही बेटे को बलि चढ़ा दिया और दवा दिलाने के बहाने ले जाकर अपने पुत्र को आंखो पर पट्टी बांधकर नदी में फेक दिया और घर आकर अपहरण की झूठी कहानी रच कर अपने चचेरे भाई और अन्य 8 लोगो के विरुद्ध थाने में मुकदमा दर्ज कराया अपहरण की बात सुनते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया आनन फानन में पुलिस एक्टिव हुई और सबसे पहले पिता से ही पूछताछ शुरू कर दी पुलिस और एस ओ जी टीम की पूछताछ में आरोपी पिता टूट गया और सच उगल दिया ।इस तरह पुलिस ने उसके आगे के मनसूबे जांच के दौरान विफल कर दिए और उसे जेल भेज दिया ।
पकड़े गए जनपद के थाना सिंधौली अंतर्गत ग्राम तियूलक निवासी संजीव पुत्र मिडाई लाल ने बताया कि मेरे ही गाव के ही विवेक पुत्र बाबूराम के पुत्र आयुष उम्र करीब 06 बर्ष का झगडा मेरे पुत्र गौरव उम्र करीब 05 वर्ष से कुछ समय पूर्व हो गया था । जिसकी शिकायत करने मेरी पत्नी नन्ही देवी विवेक के घर गयी थी, तो विवेक की पत्नी प्रीति ने मेरी पत्नी नन्ही देवी के साथ गाली-गलौज की और मारपीट की । यह बात मेरी पत्नी ने मुझे आकर बताई और मेरी पत्नी ने कहा कि मेरी बहुत गाव में बेइज्जती हो गयी है , इस पर मुझे भी बहुत बुरा लगा तभी मैंने यह सोच लिया कि जब तक विवेक व विवेक के परिवार वालों को जेल नहीं भेज दूंगा तब तक मैं चैन से नहीं बैठूगा और मैनें विवेक व उसके परिजनों को जेल भेजने का मन बना लिया । मेरे दिमाग में एक विचार आया कि मेरा पुत्र गौरव जो मानसिक रूप से कुछ कमजोर है, मैं इसको मार कर के केस बना सकता हूँ । उसने बताया की 2 सितंबर को अपने और अपने पुत्र गौरव की दवाई दिलाने का बहाना करके मैं अपनी स्कूटी से समय करीब 06.00 बजे अपने पुत्र गौरव उम्र 05 वर्ष के साथ दवाई लेने के बहाने घर से लेकर चिनौर आया और चिनौर समय करीब 07.30 बजे डाक्टर खुशीराम के मेडिकल स्टोर से मैंने अपनी बुखार की दवा ली और अपने पुत्र गौरव के लिए भी कुछ दवाई ली थी और दवाई लेकर मैं गाँव नियामतपुर होते हुए रिंग रोड पर आया और मैं खन्नौत नदी के तिउलक पुल पर आकर मैंने अपनी स्कूटी खड़ी कर दी और अपने पुत्र गौरव को पुल के किनारे रेलिंग पर बैठा दिया और मैंने पुत्र को पुल की रेलिंग से धक्का दे दिया, जिससे वह पानी में जा गिरा और मैं खन्नौत नदी पुल से स्कूटी लेकर अपने घर गया औऱ अपने घर जाकर मैंने अपने परिजनों को बताया कि गाव के बाबूराम पुत्र दुलारे तथा विवेक, विशाल, रिंकू पुत्रगण बाबूराम ने मेरे पुत्र गौरव का अपहरण कर ले जाने व अन्य चार व्यक्ति जो दो मोटर साइकिल एचएफ डीलक्स से ले गये थे । वह मैंने इसलिए बताया था कि मेरे गाँव व घर वाले विश्वास करेंगे और पुलिस भी इनके खिलाफ कार्यवाही करेगी । मेरे पास घटना के समय मेरा मोबाइल नम्बर 7080832679 मेरे पास था । मेरी हत्या करने की प्लानिंग होने के कारण किसी को फोन नहीं किया औऱ न ही डायल 112 को फोन किया और न ही मैंने उक्त घटना के सम्बन्ध में घटनास्थल पर कोई शोर मचाया था । मैंने घर जाकर बेहोश होने का ड्रामा किया था । जब मेरे परिजनों को यह विश्वास हो गया कि मेरे पुत्र का वास्तव में अपहरण हो गया है, तब मेरे भाई अमरेश ने अपने मोबाइल नम्बर से डायल-112 को फोन करके सूचना दी थी, फिर मैं अपनी पत्नी औऱ अपने परिजनों के साथ थाने आकर मुकदमा लिखाया था ।
मामले के खुलासे में एसओजी टीम सर्विलांस टीम प्रभारी निरीक्षक रितेन्द्र प्रताप सिंह कांस्टेबल शिवम हेड कांस्टेबल दिलीप कांस्टेबल रामसजीवन कांस्टेबल सचिन हेड कांस्टेबल तौसीम हैदर कांस्टेबल मुकुल खोखर हेड कांस्टेबल विपिन हेड कांस्टेबल खालिद हुसैन कांस्टेबल कमल थाना सिधौली पुलिस टीम प्रभारी निरीक्षक धर्मेन्द्र कुमार थाना सिधौली जनपद शाहजहाँपुर अपराध निरीक्षक राजेश कुमार थाना सिधौली जनपद शाहजहाँपुर उप निरीक्षक बलराज सिंह थाना सिधौली जनपद शाहजहाँपुर । उप निरीक्षक रवेन्द्र सिंह थाना सिधौली जनपद शाहजहाँपुर उप निरीक्षक अरुण कुमार थाना सिधौली जनपद शाहजहाँपुर आरक्षी पुष्पेन्द्र कुमार थाना सिधौली जनपद शाहजहाँपुर आरक्षी नितिन कुमार थाना सिधौली जनपद शाहजहाँपुर मौजूद रहे ।
पहले नदी की रेलिंग पर बैठाया फिर नदी में धकेल दिया
एक पिता इतना बेरहम हो सकता है अपनी उस औलाद के लिए जिसे पाला पोसा उसके है दुख को अपना दुख मानकर परेशान हुआ हो पिता के नाम पर कलंक लगाने वाले संजीव के मुंह से अपनी दुश्मनी को पूरा करने के जुनून में अपने मासूम पुत्र को मौत के घाट उतारने वाले कलयुगी पिता ने बताया की पहले उसने अपने पुत्र को दबा दिलवाई उसके बाद उसे लेकर दूसरे रास्ते से घर आ रहा था तभी रास्ते में नदी का पुल पड़ा और यही उसने सोचा की अगर अपने इस मानसिक दिव्यांग पुत्र को मारकर फेंक दे तो अपने चचेरे भाई को आसानी से फांस सकते है । फिर प्लान के तहत उसने अपने उस पुत्र जो पिता से सबसे ज्यादा प्यार करता था और पिता के बिना रह नहीं पाता था जब तक पिता शाम को घर नही आ जाते थे तब तक खाना नही खाता और न ही सोता था उसे पुल की रेलिंग पर बैठा कर उसके मुंह पर कपड़ा बांध कर उसे नदी में फेंक दिया जिसके शव को कल शाम पुलिस ने बरामद कर लिया।

