
बैंक कर्मियों से मिलीभगत करके निष्क्रिय बैंक खातों के मोबाइल नंबर बदल करते थे करोड़ों का लेनदेन
बैंक कर्मियों और साइबर ठग सहित 4 गिरफ्तार 11 राज्यों में दर्ज हैं केस एक खाते से निकाले 19553570 रुपए
बुलंदशहर । जनपद की पुलिस ने एक ऐसे सायबर ठग गिरोह का खुलासा किया जो बैंक कर्मियों के साथ मिलकर बैंक में चल रहे निष्क्रिय खातों के मोबाइल नंबर बदल कर उनसे करोड़ो का लेन देन करते थे जिसकी खातेदार को भनक भी नहीं लगती थी विगत दिवस इन ठगो द्वारा एक युवक के खाते में 1 करोड़ 95 लाख 53 हजार 570 रुपए की राशि डालकर ट्रांसफर की जिससे युवक की शिकायत पर आरोपियों को पुलिस ने सर्च करके गिरफ्तार किया तो उसमें एक शातिर साइबर ठग के साथ तीन बैंक कर्मी भी शामिल मिले ।
जानकारी के अनुसार निष्क्रिय बैंक खाते या खाताधारक की मौत होने पर बैंक कर्मचारी नंबर बदलकर केवाईसी कर लेते थे। बंधन बैंक में 2022 से निष्क्रिय मजदूर असलम के खाते में 21 अप्रैल को 1 करोड़ 95 लाख का ट्रांजेक्शन हुआ था। इसी शिकायत पर पुलिस ने जांच पड़ताल कर आरोपियों के कब्जे से 20 चेकबुक, 14 पासबुक, 7 एटीएम कार्ड और 1 मोबाइल बरामद किया है। पुलिस ने उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस के मैनेजर और बंधन बैंक के दो कर्मचारी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
एसपी क्राइम नरेश कुमार ने बताया कि 18 मई को देवीपुरा क्षेत्र निवासी असलम ने साइबर थाने में एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया कि बंधन बैंक में उसने एक खाता खुलवाया था। जिसमें 31 दिसंबर 2022 से कोई लेनदेन नहीं किया था। इससे उसका खाता बंद हो गया था। इस खाते में कोई अन्य मोबाइल नंबर लगाकर अवैध लेनदेन किया गया है। साइबर थाना पुलिस की जांच में आरोपी बलराम, अंकित शर्मा, जितेन्द्र, शुभम कौशिक, नवल सैनी, डेविट गौतम और अनुज्ञय प्रताप सिंह का नाम सामने आया। पुलिस ने ककोड़ निवासी बलराम, कानपुर की बैंक कॉलोनी निवासी अंकित शर्मा, अगौता निवासी जितेंद्र कुमार, सलेमपुर निवासी शुभम कौशिक को दबोचा है। अंकित शर्मा उज्जीवन स्माल फाइनेंस दोराहा बुलंदशहर में ब्रांच मैनेजर के पद पर तैनात था, जबकि आरोपी जितेंद्र और शुभम कौशिक बंधन बैंक में बतौर कर्मचारी कार्यरत हैं। तीन आरोपी फरार हैं। पुलिस ने उनकी पहचान हरियाणा के गुडगांव निवासी आरोपी नवल सैनी, अगौता निवासी डेविट गौतम और ककोड़ निवासी अनुज्ञय प्रताप सिंह के रुप में की है। फरार आरोपियों में से एक आरोपी बैंक में कार्य करता है। मजदूरी का कम करने वाले असलम के खाते में गिरफ्तार आरोपियों ने 1,95,53,570 रुपये जमा कराने के बाद निकाले गए थे। जब आरोपियों को यह लगता था कि खाताधारक को खाता चलाने की आवश्यकता नहीं है तो उस खाते पर एटीएम और चैक बुक जारी करा लेते हैं। इस गिरोह का नेटवर्क करीब 11 राज्यों में फैला हुआ था। साइबर फ्रॉड की शिकायत करने वाले पीड़ित असलम के खाते के संबंध में 11 राज्यों में शिकायतें मिली थी।
किस तरह बदलते थे खातों के मोबाइल नम्बर
पकड़े गए आरोपियों ने स्वीकार करते हुए बताया कि वह बंद खातों में मोबाइल नम्बर बदलवाने और होल्ड व अनहोल्ड हटवाने के लिए स्वयं ही प्रार्थना पत्र लिखते थे। उसके बाद बैंक फॉर्म भरकर खुद ही केवाईसी व सिग्नेचर वैरिफाई करके बैंक मैनेजर से स्वीकृत करा लेते हैं। उसके बाद ट्रेडिंग के नाम पर भारी मात्रा में धोखाधडी करके धन मंगाकर अपने साथियो के खातो में धनराशि को ट्रांसफर करके निकाल लेते हैं। इन खातो पर कई राज्यों से शिकायते भी दर्ज है। संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जनरेट मेल भी होती है। जिन्हें अनदेखा करते हुए उस मेल के प्रति-उत्तर में पोजिटिव उत्तर देकर बैंक सिस्टम को भी धोखा दे देते है। जब आरोपियों को यह लगता है कि खाताधारक को खाता चलाने की आवश्यकता नहीं है तो उस खाते पर एटीएम और चैक बुक जारी करा लेते है।

