
लखनऊ में सीबीआई एएसआई पर बिहार के शख्स ने किया तीर से हमला बोला अन्याय के खिलाफ लड़ा युद्ध
मुजीब खान
लखनऊ । सीबीआई दफ्तर पर के गेट पर खड़े एक शख्स को ड्यूटी पर तैनात एक सीबीआई एएसआई को उस समय भारी पड़ गया जब टोकने से नाराज शख्स ने अधिकारी पर तीर कमान से हमला कर दिया शख्स द्वारा चलाया गया तीर अधिकारी के सीने में धस गया जिससे वह गंभीर रूप से घायल होकर मौके पर गिर पड़ा हालांकि तीर चलाने वाले शख्स को अन्य कर्मचारियों ने पकड़ लिया जिसमें उसने अपने आप बिहार का निवासी बताया और अपना नाम दिनेश मुर्मू बताया बताया जा रहा आरोपी की आयु करीब 50 वर्ष के आसपास है। गंभीर रूप से घायल एएसआई को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। एसआई को निशान बनाए जाने के बाद वहां मौजूद लोग बचने के लिए भागने लगे। उसने कुछ देर तक सबको दौड़ा-दौड़ाकर टारगेट किया। बाद में एक कर्मी ने उसके हाथ में डंडा मारकर तीर कमान गिरा कर उसे पकड़ लिया।
हमलावर ने पुलिस हिरासत में बताया- मैंने अन्याय के खिलाफ युद्ध लड़ा है। यह मेरा तरीका है। धनुष-बाण से हमला करने वाले दिनेश मुर्मू बिहार के मुंगेर का रहने वाला है। बोला कि पहले बलि का बकरा बनाया, अब परेशान किया जा रहा। उसने कहा कि उसे 1993 के रेलवे ट्रैप केस में बलि का बकरा बनाया गया। कहा सीबीआई ने मेरी नौकरी छीनी, समाज से इज्जत चली गई, मेरी जिंदगी तबाह कर दी। 30 साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहा हूं। कोई सुनवाई नहीं हुई तो मैंने अपना तरीका चुना।
जानकारी के अनुसार आरोपी दिनेश मुर्मू, बिहार के मुंगेर जिले के खड़कपुर का रहने वाला है। 1993 में रेलवे में नौकरी करता था। सीबीआई की ट्रैप कार्रवाई में उसका नाम आया और नौकरी चली गई। उसने कहा- मैं तब भी बेगुनाह था, आज भी हूं। तब मुझसे सीबीआई ने कहा कि सरकारी गवाह बनो। मैंने बात मानी, फिर भी मेरी नौकरी चली गई। मैं हर दरवाजे पर गया, कोई नहीं सुना। अब भी परेशान किया जा रहा हूं। पुलिस पूछताछ में दिनेश ने बताया कि वह कई बार ए एस आई वीरेंद्र सिंह से मिल चुका है। उसने कहा- मैं कई बार सीबीआई ऑफिस गया। वीरेंद्र सिंह से विनती की कि मेरी फाइल दोबारा देख लें, लेकिन उन्होंने मुझे भगा दिया। मैं टूट चुका था इसलिए सोचा कि अब अपने तरीके से जवाब दूं। पुलिस पूछताछ में दिनेश ने बताया- मैं आदिवासी हूं। हमारे यहां युद्ध लड़ने का तरीका यही है। बंदूक-पिस्तौल नहीं है, केवल धनुष-बाण ही है। जो आज मैंने किया, मेरे न्याय का यही रास्ता है। यही हमारी परंपरा है। सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि घायल ए एसआई वीरेंद्र सिंह की हालत अब खतरे से बाहर है। शनिवार को भी वह अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रहे। उन्होंने किसी से विशेष बातचीत नहीं की। सिर्फ इतना कहा- अब बेहतर महसूस कर रहा हूं, जांच चल रही है। बाकी जानकारी अधिकारी देंगे।
दो महीने से कर रहा था सीबीआई की रेकी
पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में दिनेश ने बताया कि वह करीब 2 महीने से लखनऊ में रहकर सीबीआई ऑफिस की रेकी कर रहा था। उसने खुद ही धनुष तैयार किया और तीर में लोहे की नोक लगाई। हमला पूरी तरह से सोची-समझी निजी लड़ाई है। अगर अब भी उसकी बात नहीं सुनी गई, तो वह जेल में भी अनशन करेगा। वहीं, सीबीआई के अधिकारियों का कहना है कि हमला करने वाले का रेलवे ट्रैप केस से कोई पुराना लिंक जरूर है। हमला करना किसी भी रूप में न्याय का रास्ता नहीं हो सकता। पुलिस आरोपी की मानसिक स्थिति का भी मूल्यांकन करा रही है। पुलिस को उसके पास से का धनुष, लोहे के 6 नुकीले बाण और एक बैग बरामद हुआ।

