Tuesday, December 16

आजमगढ़।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हुआ गोष्ठी का आयोजन 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हुआ गोष्ठी का आयोजन 

आजमगढ़।शनिवार की शाम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भारतीय महिला फेडरेशन आजमगढ़ द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन निजामाबाद तहसील स्थित साहित्य से दोस्ती,साथी जन सुविधा केंद्र पर हुआ।जिसका विषय था ‘गरिमा के साथ जीने का अधिकार कोई परोपकार नहीं!हमारा अधिकार है’।कार्यक्रम की अध्यक्षता कवयित्री,लेखिका डॉक्टर इंदू श्रीवास्तव ने और संचालन साथी सेंटर की प्रभारी सूचिबाला ने किया।कार्यक्रम में महिलाओं की पूरी सहभागिता रही। कार्यक्रम की शुरुवात देश की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले और भगत सिंह की साथी दुर्गा भाभी के चित्रों पर पुष्पांजलि के साथ हुई। आधी आबादी को पूरा न्याय कबतक जैसे स्लोगन भी लगे।गोष्ठी में महिलाएं सामने बैठी थीं।उनके बगल में पुरुष अपने हाथों में चूड़ियां पहनकर उस उपमा को तोड़ना चाहते थे।जिसमें पुरुष आक्रोशित होकर कहते हैं कि हमने चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं।जो महिलाओं को कमजोर साबित करता है।इस मुहावरे को तोड़ने के लिए महिला दिवस पर पुरुषों की तरफ से ये स्लोगन था कि हमने भी चूड़ियां पहन रखी हैं। कार्यक्रम में उपस्थित इसकफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आजमगढ़ के जिला सचिव अधिवक्ता जितेंद्र हरि पाण्डेय ने कहा कि पैतृक संपत्ति का वारिस बेटा होता है और पिता की पगड़ी बेटियों को संभालने के लिए कहा जाता है।जबकि पिता की पगड़ी की लाज संभालने की जिम्मेदारी लाडले बेटों की होनी चाहिए। गोष्ठी में केंद्रीय मानवाधिकार एवं समाज कल्याण भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविशंकर यादव ने कहा कि भारतीय परिवेश में एक माता हमेशा चाहती है कि उसका दामाद उसकी बेटी की ही बात सुने और वह अपने बेटे से चाहती है कि वह बहु की बात न सुनकर उसकी बात सुने।महिलाओं को सबल बनाने के लिए विचारों में समानता लाना अनिवार्य है।हमारे संविधान में सबका उपचार है जिसे पढ़कर महिलाओं का सामाजिक उत्थान संभव है। आजमगढ़ कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के नेता संतोष कुमार यादव ने कहा कि जबतक महिलाओं को हर क्षेत्र,स्थान पर बराबरी का दर्जा वास्तविक रूप में नहीं मिलेगा,तबतक भारत विकसित देश नहीं बन पाएगा।संतोष कुमार ने लक्ष्मी बाई से लेकर भारत की आयरन लेडी कही जाने वाली भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी,महादेवी वर्मा जैसी आदर्श और विदुषी महिलाओं के व्यक्तित्व पर विस्तृत प्रकाश डाला।अन्य वक्ताओं ने महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार और उनके बहुमुखी विकास के लिए पुरुषों जैसी आजादी दिए जाने की वकालत की। इस गोष्ठी की तहसील बार के मंत्री चंद्रेश एडवोकेट,रामाज्ञा यादव,सविता पाण्डेय, नेहा मौर्या,खुशी,हरिगेन,विभव श्रीवास्तव आदि लोगों ने संबोधित किया।इस गोष्ठी में प्रमिला,मंजू पांडेय,सोनम,चंद्रशेखर,लालचंद,अजय कुमार,राजनरायन,रमेश गिरी,मनोज पाण्डेय,तूफानी राम,इंद्रभूषण, रामतीर्थ यादव,अशोक कुमार आदि लोग उपस्थित रहे।

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