
कठिन तपस्या के बाद पुनर्जन्म में मां शतरूपा को राम के रूप में पुत्र की हुई थी प्राप्ति:पंडित रमाकांत
श्रीराम कथा में भानु प्रताप की कहानी सुनकर भाव विभोर हो गए श्रद्धालु
शरद बिंद/भदोही।
दुर्गागंज। अभोली ब्लाक के मतेथू गांव में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर पर चल रहे चार-दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन शनिवार को कथावाचक पंडित रमाकांत महाराज जी ने श्रद्धालुओं को मनु शतरूपा व भानुप्रताप की कथा सुनाई। कथावाचक पंडित रमाकांत महाराज जी ने कहा कि भगवान को पुत्र के रूप में प्राप्त करने की इच्छा सभी को होती है। भगवान राम जैसा पुत्र पाने के लिए राजा मनु और माता शतरूपा की तरह तपस्या करनी पड़ती है। इस कठिन तपस्या को पूरा करने के बाद ही मनु व शतरूपा ने पुनर्जन्म में भगवान राम को पुत्र के रूप में प्राप्त किया। कथावाचक पंडित रमाकांत महाराज जी ने कहा कि राजा मनु अपने पुत्र को राजपाट सौंपकर पत्नी के साथ भगवान की आराधना करने के लिए वन में चले गए थे। उन्होंने भगवान विष्णु की तपस्या किया और जब भगवान विष्णु सामने आए तो दोनों ने वरदान मांगा की हमें आप जैसा पुत्र चाहिए , जिसके बाद प्रसन्नता से भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि मेरे जैसा तो मै ही हो सकता हूं। इसलिए आपके अगले जन्म में मै आपके पुत्र के रूप में जन्म लूंगा।
इसके बाद कथावाचक पंडित रमाकांत महाराज जी ने भानुप्रताप कथा का वर्णन करते हुए कहा कि प्रतापभानु नाम का एक राजा एक बार जंगल में शिकार खेलने जाते हैं। यहां वे रास्ता भटक जाते हैं। यहां उनकी मुलाकात एक कपट मुनि से होती है। वह कपट मुनि अपनी बातों से राजा को झांसा देकर उनके महल में पहुंच जाता है। यहां वह ब्राह्मणों के भोजन में छल से मांस मिलवा देता है। इस पर आकाशवाणी होती है कि हे ब्राह्मणों यह भोजन मत करो। इसमें मांस मिला हुआ है। इससे तुम्हारा धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। इस पर ब्राम्हण राजा प्रतापभानु को अगले जन्म में राक्षस होने का श्राप दे देते हैं। बाद के जन्म में वहीं राजा प्रतापभानु रावण के रूप में जन्म लेता है। इस मौके पर आचार्य विनय कुमार पाठक, प्रेमशंकर पाठक, नागेन्द्र बहादुर सिंह, सुनील कुमार सिंह, त्रिभुवन नाथ तिवारी, कृष्णकांत पाठक उर्फ बनारसी, त्रिलोकी नाथ पाठक, वैभव पाठक,अमन तिवारी, सर्वेश शुक्ला, निशांत पाठक, प्रहलाद पाण्डेय, मंगल दुबे आदि मौजूद रहे।

