Tuesday, December 16

भदोही।मतेथू की रामलीला में रावण दहन बृहस्पतिवार को , जबरदस्त उत्साह

मतेथू की रामलीला में रावण दहन बृहस्पतिवार को , जबरदस्त उत्साह

बृहस्पतिवार को विजय-दशमी और शुक्रवार को भरत मिलाप मेले का आयोजन

शरद बिंद/भदोही।

भदोही,दुर्गागंज। अभोली ब्लॉक के मतेथू गांव में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर पर जय बजरंग रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला के आठवें दिन बुधवार को विभीषण-शरणागति,अंगद-रावण संवाद, कुंभकरण वध, मेघनाथ वध और अहिरावण वध का मंचन किया गया।

लंका युद्ध की तैयारियों के बीच रावण के छोटे भाई विभीषण ने बार-बार उसे श्रीराम से युद्ध न करने और माता सीता को लौटा देने की सलाह दी, लेकिन रावण अपने अहंकार और क्रोध में किसी की बात मानने को तैयार न हुआ। अपमानित होकर विभीषण ने रावण का साथ छोड़ प्रभु श्रीराम की शरण में जाने का निश्चय किया। आकाश मार्ग से समुद्र तट पर उतरकर जब विभीषण ने श्रीराम की शरण मांगी तो वानर सेना में संदेह उत्पन्न हुआ कि कहीं वह रावण का जासूस न हो। सुग्रीव सहित अन्य वानरों ने विरोध जताया, किंतु श्रीराम ने स्पष्ट कहा कि जो कोई भयभीत होकर उनकी शरण में आता है, उसे वे अवश्य आश्रय देते हैं, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो। प्रभु की आज्ञा के बाद विभीषण का स्वागत किया गया। इस प्रसंग में श्रीराम ने विभीषण को सच्चा भक्त और धर्मनिष्ठ मानते हुए लंका का भावी राजा घोषित किया। यह लीला शरणागति की महिमा को उजागर करती है कि सच्चे मन से भगवान की शरण लेने वाला विपरीत परिस्थितियों में भी परम शांति और कृपा का अधिकारी बन जाता है।

मंचन में दिखाया गया कि रामलीला में हनुमान जी की लंका से वापसी के बाद श्रीराम ने रावण से युद्ध की घोषणा कर दी। श्रीराम के निर्देश पर बाली के पुत्र युवराज अंगद रावण को समझाने के लिए लंका भेजा जाता है। वहां उन्होंने अपनी वीरता का प्रदर्शन करते अपने पांव को रावण के दरबार में जमा दिया। कहा कि, लंका का कोई भी वीर उनका पैर हिलाकर दिखाए। अंगद कुमार रावण से कहते है कि राजमद या मोहवश तुमने माता सीता का हरण किया है, लेकिन मेरी तुम्हारे लिए हितकारी सलाह है कि तुम अपनी भूल स्वीकार कर श्रीराम की शरण में आ जाओ। प्रभु श्री राम क्षमा कर देंगे। अंगद कुमार की इन बातों का रावण भरी सभा में उपहास करते हैं।

लंकेश से अंगद ने जब सीता को प्रभु राम को वापस करने का विनय किया तब रावण ने क्रोधित होकर कहा कि उन दोनों तपस्वियों से कह दो कि मुझसे युद्ध करें। तभी सभा में अंगद कहते हैं कि यदि कोई वीर है तो उनके पैर को जमीन से उठाकर दिखाए। रावण की सभा में बैठे महान पराक्रमी योद्धा एक-एक करके जाते हैं। लेकिन कोई भी अंगद का पैर टस से मस नहीं कर पाता।

तब रावण का पुत्र इंद्रजीत भी अंगद के पैर को पकड़ता है, लेकिन उसका प्रयास भी विफल जाता है। यह देखकर दरबार के सभी लोग सहम जाते हैं। सभी के विफल होने पर जब रावण खुद अंगद का पैर हटाने के लिए आया, तो अंगद ने कहा कि मेरे पैरों के बजाय भगवान श्रीराम के चरणों में जाओ, तुम्हारा कल्याण होगा। इसके बाद राम की सेना लंका पर चढ़ाई कर देती है। मेघनाद एवं लक्ष्मण का युद्ध होता है। मेघनाद लक्ष्मण को शक्ति मारकर मूर्छित कर देता है, तब पवन पुत्र हनुमान संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाते हैं। अंगद का रोल सचिन ढंडाल व रावण का रोल राहुल कटारिया ने निभाया।

इस मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रेमशंकर पाठक,नागेन्द्र बहादुर सिंह,गौरव तिवारी,सुनील कुमार सिंह,अभिषेक कुमार पांडेय,ज्ञानेश तिवारी, आशीष पाठक,अमन तिवारी, निशांत कुमार पाठक आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *