Tuesday, December 16

बलिया।जयंत पंछी का अंग भंग और मुन्नी मिलन का मंचन 

जयंत पंछी का अंग भंग और मुन्नी मिलन का मंचन 

आचार्य ओमप्रकाश वर्मा 

नगरा बलिया। नगर की रामलीला में पांचवें दिन गुरूवार की शाम रामलीला मैदान में जयंत पक्षी का अंग-भंग, मुनी मिलन एवं सती अनुसुइया के विभिन्न प्रसंगों केका कलाकारों ने जीवंत तथा भावपूर्ण अभिनय किया। इसे देख दर्शक भाव-विह्वल हो उठे।

वन गमन के दौरान जब मां जानकी डा अपनी कुटियां के बाहर बैठी हुई थी कि की उसी समय इंद्रदेव का पुत्र जयंत पक्षी नी का वेश धारण कर जानकी के पैरो में । चोंच मारकर लहुलूहान कर दिया। यह की देख भगवान श्रीराम उस पक्षी के मारने ह के तीर छोड़ दिए। जयंत पक्षी अपनी जान बचाने के लिए विभिन्न देवी में देवताओं सहित नारद जी के शरण में डीं गया, जहां उनके द्वारा बताया गया कि डी तुमने मां सीता के पैरों में चोंच मारकर नघोर पाप किया है। इसके लिए तुम्हें प्रभु श्रीराम के चरणों में गिरकर माफी र मांगनी होगी। जब तक जयंत श्रीराम से के माफी मांगता, तब तक उनके द्वारा का छोड़ा गया तीर उसकी एक आंख को भंग कर दिया। तत्पश्चात श्रीराम, सीता एवं लक्ष्मण जंगल में विचरण करने चल दिए। इस दौरान वहां तपस्या कर रहे यत्री मुनी एवं भारद्वाज मुनी से मुलाकात हुई, जहां दोनों मुनियों ने तपस्या पस्या के दौरान राक्षसों के अत्याचार के बारे में बताया गया। इस पर श्रीराम ने उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया। साथ ही यत्री मुनी की धर्मपत्नी सती अनुसुइया ने सीता को नारी धर्म, पति धर्म सहित अनेक प्रसंगों पर ज्ञान प्रदान किया। इन तीनों प्रसंगों को देखने के लिए हजारों की भीड़ रामलीला मैदान में जमी रही।

मुनि आगमन व ताड़का वध का मंचन

नगरा। सार्वजनिक रामलीला समिति के तत्वावधान में जनता इण्टर कालेज के प्रांगण में चल रहे रामलीला में मुनि आगमन एवं ताड़का वध का मंचन किया गया। राक्षसों के उत्पात एवं अत्याचार से दुखी मुनि

श्रीराम को मनाने चित्रकूट पहुंच गये भरत

नगरा। प्राचीन आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वावधान में पुरानी दुर्गा मंदिर प्रांगण में आयोजित रामलीला में राजा दशरथ के देहावसान पर दाह संस्कार के बाद श्रीराम को मनाने भरत चित्रकूट गए, जहां श्रीराम ने भरत को पिता को दिए वचन का पालन करने को कहा। भरत के हठ करने पर श्रीराम ने अपनी खड़ाऊ देकर उन्हें लौटने के लिए कहा। इसके बाद भरत खड़ाऊ लेकर लौट आये। श्रीराम के वन से लौटने तक भरत ने खड़ाऊ को सिंहासन पर रखकर शासन किया। यह दृश्य देखकर लोगों की आंखें छलक पड़ी। इस मौके पर राजकुमार गोंड, सपा नेता उमाशंकर राम, गोविन्द खरवार, राम सनेही गोंड, अमित सिंह सप्पू, सभासद संजय सिंह, दीपू पाठक, रविप्रकाश पाठक, उमेश पाठक, पवन पाठक, रवि पाठक आदि मौजूद रहे।

विश्वामित्र राजा दशरथ के दरबार में पहुंचे और राक्षसी अत्याचार को बताते हुए रक्षा हेतु श्रीराम एवं लक्ष्मण को मांगा। राजा दशरथ काफी सोच में पड़ जाते है, लेकिन वशिष्ठ मुनि के समझाने पर वह तैयार हो जाते है। श्रीराम-लक्ष्मण अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर मुनि विश्वामित्र के साथ चल दिए। वन में पहुंचते ही श्रीराम-लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र का आदेश पाकर ताड़का वध, मारिच संहार, सुबाहु वध करतेहै।

इस दौरान दर्शक जय श्रीराम का नारा लगाने लगे। इसके पहले मुख्य सेवक मनमोहन सिंह एवं विनय यादव ने संयुक्त रुप से श्रीराम का पूजन अर्चन कर आरती उतारी। इस मौके पर पूर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, राजेश दीपू, ओके जायसवाल, हरेराम, रामायण ठाकुर, काशीनाथ टेका जायसवाल, जयप्रकाश जायसवाल, गणपति मुन्ना, अजीत चौहान, मुन्नी लाल, रिंकू, राहुल ठाकुर, राजकुमार आदि मौजूद रहे।

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