पदम श्री डॉक्टर रत्नप्पा भरमप्पा कुम्हार जयंती सम्मान समारोह का भव्य आयोजन।
शरद बिंद/भदोही।
दुर्गागंज। अभोली ब्लॉक के कुढ़वा गांव में रविवार को भावपूर्ण सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्रजापति समाज द्वारा आयोजित था, जिसमें दूर-दराज से आए समाज बंधुओं ने भाग लिया। डॉ. रत्नप्पा कुम्हार (1909-1998), जिन्हें ‘देशभक्त रत्नप्पा’ के नाम से जाना जाता है, ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। वे डॉ. भीमराव आम्बेडकर के साथ भारतीय संविधान के अंतिम मसौदे पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख थे। महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन, शिक्षा और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उनके योगदान अविस्मरणीय हैं। उन्होंने शाहाजी लॉ कॉलेज, पंचगंगा कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरी, रत्नप्पा कुम्हार कॉलेज ऑफ कॉमर्स जैसी संस्थाओं की स्थापना की। वे महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे और नागरिक आपूर्ति मंत्री भी रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि अक्षत राज प्रजापति ने की। उन्होंने दक्ष प्रजापति भगवा,डॉ. रत्नप्पा के प्रतिमा पर चित्र पर दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया। यह क्षण सभी के लिए भावुक रहा, क्योंकि यह न केवल एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि थी, बल्कि समाज के उत्थान के प्रति निष्ठा का प्रतीक भी। प्रजापति समाज के सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. रत्नप्पा के जीवन से प्रेरणा ली। मनोज प्रजापति ने जोर देकर कहा कि शिक्षा केवल सर्टिफिकेट प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि संस्कार ग्रहण करने का माध्यम होनी चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा दें, ताकि समाज मजबूत बने।
शिव शंकर प्रजापति ने व्यावहारिक सुझाव देते हुए कहा कि समाज के विकास के लिए फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना आवश्यक है। उन्होंने व्यक्तिगत शादियों के बजाय सामूहिक विवाहों को बढ़ावा देने की बात कही। इससे बचने वाले धन को समाज के उत्थान, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करने से ही प्रगति संभव है। यह विचार डॉ. रत्नप्पा के सामाजिक न्याय के सिद्धांतों से प्रेरित था, जिन्होंने गरीबों और दलितों के लिए जीवन समर्पित किया।
समारोह में हृदय नारायण प्रजापति, छेदीलाल प्रजापति, अजय प्रजापति, जनार्दन प्रजापति, मोहित प्रजापति, अरविंद प्रजापति, गुलाब प्रजापति, महेंद्र प्रजापति, सुनील प्रजापति, शिव श्याम प्रजापति, भोलानाथ प्रजापति, अजीत प्रजापति सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। सभी ने संकल्प लिया कि डॉ. रत्नप्पा के आदर्शों पर चलेंगे।
विशेष रूप से, इस जयंती पर प्रजापति समाज ने मांग की है कि डॉ. रत्नप्पा की जयंती (15 सितंबर) को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए। उनका तर्क है कि यह न केवल कुम्हार/प्रजापति समाज, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा का दिन है। संविधान निर्माण में उनके योगदान को सम्मान देने के लिए यह कदम उचित होगा।

