Friday, December 19

बलिया।श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती पर प्रकृति प्रेम का अद्भुत संगम।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती पर प्रकृति प्रेम का अद्भुत संगम।

भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से रचा प्रेरणा का नया अध्याय

 ओमप्रकाश वर्मा नगरा (बलिया)। राष्ट्र निर्माण के प्रेरणास्त्रोत और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के अवसर पर रविवार को सलेमपुर स्थित नवीन आदर्श इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम देशभक्ति, विचार और संवेदनाओं का अद्वितीय संगम बन गया। इस विशेष अवसर पर संगोष्ठी, पुष्पांजलि समारोह और ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम ने न केवल डॉ. मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी, बल्कि समाज में पर्यावरण संरक्षण और मातृवंदन की एक नई चेतना भी जगाई।

कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के चित्र और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से हुई। उपस्थित लोगों ने उनके विचारों को आत्मसात करते हुए ‘एक राष्ट्र, एक विधान, एक निशान’ के उनके सपनों को साकार करने की शपथ ली।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित भाजपा के जिला महामंत्री अलोक शुक्ला ‘सोनू’ ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का जीवन सच्चे अर्थों में राष्ट्र के लिए समर्पित था। उनका बलिदान आज भी हमें प्रेरणा देता है कि हम बिना स्वार्थ के देश और समाज के लिए कार्य करें। वहीं मंडल अध्यक्ष जय प्रकाश वर्मा ‘गुड्डू’ ने कहा कि डॉ. मुखर्जी जैसे महापुरुषों की विचारधारा को गांव-गांव तक पहुंचाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।

संगोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार डॉ. मुखर्जी ने धारा 370 का विरोध करते हुए ‘एक देश में दो विधान नहीं चलेंगे’ का नारा दिया और अपने प्राणों की आहुति दी। उनके विचार आज के भारत की आत्मा हैं।

कार्यक्रम में सबसे विशेष और भावुक पहल रही ‘एक पेड़ मां के नाम’। इस दौरान मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों, कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने अपनी माताओं की स्मृति और सम्मान में एक-एक पौधा रोपित किया। इस भावनात्मक पहल ने कार्यक्रम में मानवीय संवेदनाओं का स्पर्श जोड़ दिया। इस मुहिम का उद्देश्य न सिर्फ पर्यावरण को संरक्षित करना है, बल्कि मातृत्व की महिमा को भी स्थायी स्वरूप देना है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी, बूथ अध्यक्ष, कार्यकर्ता, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। सभी ने डॉ. मुखर्जी के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम के संचालन में मण्डल कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही, जिन्होंने पूरे आयोजन को अनुशासित, सुसंगठित और भावनात्मक रूप से सजीव बनाए रखा। मंच पर देशभक्ति गीतों और नारों से वातावरण गूंजता रहा — “भारत माता की जय”, “डॉ. मुखर्जी अमर रहें” जैसे उद्घोष कार्यक्रम के हर कोने में गूंजते रहे।

अंत में सभी कार्यकर्ताओं ने पौधों को संरक्षित रखने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी ली और तय किया कि अगले वर्ष तक इन पौधों को एक विशाल हरित अभियान का हिस्सा बनाया जाएगा।

संपूर्ण कार्यक्रम एक सच्चे राष्ट्रभक्त, विचारक और तपस्वी नेता को समर्पित था, जिसकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए पथ प्रदर्शक बनी रहेगी।

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