Tuesday, December 16

आजमगढ़।जयगुरुदेव आश्रम खानपुर में तीन दिवसीय सत्संग का हुआ शुभारंभ 

जयगुरुदेव आश्रम खानपुर में तीन दिवसीय सत्संग का हुआ शुभारंभ 

आजमगढ़। जयगुरुदेव आश्रम खानपुर में आयोजित तीन दिवसीय सत्संग प्रातः 7 बजे जयगुरुदेव संस्था के पुरोहित मृत्युन्जय झा और साथ में जुल्मी पाण्डेय के पूजन कार्यक्रम से प्रारम्भ हो गया। लालचन्द यादव, डा. जे.पी. यादव, जिलाध्यक्ष रामचरन यादव, किन्सराज, इन्द्रजीत पाण्डेय, राम समुझ और जयगुरुदेव आश्रम के प्रबन्धक सन्त राम चौधरी ने पूजन में भाग लिया और जयगुरुदेव ध्वजा रोहण किया। इस अवसर पर सकलदीप पाल, रामवचन चौधरी, जीतूभाई आर. पटेल, भरत भाई टी मिस्त्री ‘नानक जी’, महिला संगत संगठन की सावित्री देवी और गीता पाण्डेय आदि सैकड़ों की संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने भाग लिया।

उपदेशक मृत्युन्जय झा ने ‘‘नर तन सम नहिं कौनिऊ देहीं, जीव चराचर याचत येही।’’ पंक्ति को उद्धृत करते हुये कहा कि सभी जीव मानव तन पाने की याचना करते हैं। क्योंकि यह संसार सागर से पार जाने यानि जन्म मरण के कष्ट से छुटकारा पाने का एकमात्र साधन है। विश्व विख्यात परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सभी को नामदान दिया। उन्होंने हमारे कर्मों को नहीं देखा। महापुरुष जब नामदान देते हैं तो जीव के कर्मों का लेखा-जोखा अपने हाथ में ले लेते हैं। बाबा जी ने लोगों से शाकाहार और नशा मुक्ति के प्रचार करते रहने का आदेश दिया था जिसका पालन हम सभी प्रेमियों को करते रहना है। गुरु आदेश पालन ही गुरु भक्ति है। सभी लोगों को चौबीस घण्टे में से दो घण्टे का समय अपनी जीवात्मा के कल्याण की साधना के लिये देना चाहिये। जो अपनी जीवात्मा के कल्याण के लिये समय नहीं दे सकता है, वह अपनी पत्नी और बच्चों के कल्याण की बात नहीं सोच सकते हैं। आप को महापुरुषों के बचनों को अपनी आंखों के सामने रखनी चाहिये। जीव को मां के गर्भ में असहनीय पीड़ा सहनी पड़ती है। इसलिये अबकी बार सुबह-शाम भजन करने का संकल्प लेना चाहिये जिससे गर्भ की पीड़ाओं से से छुटकारा हो जाये। आपके शरीर में कुल दस दरवाजे हैं, दसवें दरवाजे पर जीवात्मा की बैठक दोनों आंखों के पीछे मध्य भाग में है। भजन में शब्द और ध्यान में प्रकाश को पकड़ कर अपने ख्याल को नौ दरवाजों से हटा कर दसवें दरवाजे में आ जाने को नौ दो ग्यारह कहते हैं। शब्द और प्रकाश दो ही चीजों के द्वारा नौ दरवाजों से ख्याल दसवें दरवाजे पर सिमटता है और नूरानी सफर की शुरुआत होती है।

सायंकाल जयगुरुदेव आश्रम के प्रबन्धक सन्त राम चौधरी ने अपने प्रवचन में बताया कि आत्म कल्याण के लिये वासनाओं को खत्म करना पड़ता है। अनमोल मानव तन पाकर इसे गुरु की प्राप्ति कर सफल बनाना चाहिये। सत्संग में आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर दक्षिणी, संतकबीर नगर, अम्बेडकर नगर, बस्ती, गोरखपुर, वाराणसी, कुशीनगर आदि जिलों के भण्डारे लगे हुये हैं। शर्बत प्याऊ और सत्तू प्याऊ के स्टाल लगाये जा रहे हैं।

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