Friday, December 19

आजमगढ़।पूर्वांचल एक्सप्रेस वे निर्माण में सरकारी पट्टा प्राप्त भूमिहीनों को ज़मीन के बदले नहीं दिया गया मुआवज़ा ।

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे निर्माण में सरकारी पट्टा प्राप्त भूमिहीनों को ज़मीन के बदले नहीं दिया गया मुआवज़ा ।

किसान संगठनों ने मुआवजे की मांग की

 आजमगढ़ । किसान संगठनों ने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे पट्टे की जमीन के अधिग्रहण के बाद मुआवजा न मिलने के सवाल पर इमली महुआ गांव में बैठक की. किसान नेता राजीव यादव, पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव, एनएपीएम के राज शेखर और सोशलिस्ट किसान सभा निज़ामाबाद प्रभारी श्याम सुंदर मौर्या ने इस अन्याय पर विरोध जताया।

ग्रामीणों ने बताया कि आजमगढ़ के फुलपुर तहसील के इमली महुआ गांव में दर्जनों दलित-पिछड़ा किसान परिवारों को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित हुई अपनी सरकारी पट्टा की ज़मीन का मुआवज़ा नहीं दिया गया। सरकार ने दशकों पहले सरकारी पट्टे की ज़मीन लोगों को भूमिहीनता से निकालने के लिए दिया था। इन ऊसर ज़मीनों को अपने खून पसीने से उपजाऊ बनाकर किसान अच्छी खेती किया करते थे और अपनी आजीविका चलाते थे।एनएपीएम के राज शेखर ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे निर्माण के दौरान स्थानीय प्रशासन द्वारा ज़मीन के बदले मुआवज़ा देने की बात कही गई थी लेकिन कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया और ज़मीन ले ली गई। 

किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि ग्रामीणों के अनुसार सरकारी पट्टा की ज़मीन 1970 के करीब भूमिहीन किसानों को ध्यान में रखते हुए दी गई थी और अब उन्हीं किसानों से ज़मीन लेकर उन्हें मुआवज़ा या दूसरे स्थान पर ज़मीन न देकर उन्हें दोबारा भूमिहीन बना दिया गया है। यह भूमिहीनता भुखमरी को जन्म देगी।

पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का प्रशासन द्वारा उल्लंघन किया गया है। सरकारी पट्टा प्राप्त किसानों को मुआवज़ा देने की ज़िम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होती है। किसानों को उनकी ज़मीन से बेदखल करना अन्याय है, इसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। ग्रामीणों ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को विकास बताया जा रहा है। हमारी जमीनें देश के विकास में काम आईं लेकिन ये काम उन्हें कमज़ोर करके नहीं होना चाहिए था। इमली महुआ ग्राम वासियों ने मांग किया कि सभी परिवार जिनकी सरकारी पट्टे की ज़मीन पूर्वांचल एक्सप्रेस वे में अधिग्रहित हुई है उसका मुआवज़ा अथवा उतनी ही ज़मीन दी जाए जिनपर वह खेती कर सकें।

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