कम जगह में भी कैसे करें खूबसूरत गार्डनिंग—राँची की महिला का उदाहरण बना प्रेरणा
विनीत कुमार,
राँची। बागवानी का शौक अगर मन में हो तो छोटी जगह भी हरे-भरे बगीचे में बदल सकती है। इसका एक सुंदर उदाहरण राँची की एक गृहणी ज्ञानलता ने प्रस्तुत किया है। घर के सीमित स्थान में उन्होंने सैकड़ों किस्मों के पौधे इस तरह से सजाए हैं कि घर में प्रवेश करते ही हरियाली और प्रकृति की ताज़गी महसूस होती है। उनकी बागवानी का यह स्वरूप अब लोगों के बीच प्रेरणा का विषय बनता जा रहा है। लता जी न सिर्फ पौधों को प्यार से संवारती हैं, बल्कि घर में बनने वाले किचन वेस्ट और छठ पूजा के बाद बचे पत्तों का उपयोग कर प्राकृतिक खाद भी तैयार करती हैं। वह बताती हैं कि छठ के बाद कई घरों में पत्ते फेंक दिए जाते हैं, लेकिन वह इन्हें इकट्ठा कर मटके में रखकर कुछ दिनों में इसे जैविक कंपोस्ट में बदल देती हैं, जिसे बाद में पौधों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
उनके बगीचे में मनी प्लांट, एलोवेरा, सॉन्ग ऑफ बनाना, डॉन फ्लावर, हर श्रृंगार, सजावटी पत्तों वाले अनेक पौधे, लोटस और छोटे-छोटे गमलों में लगे फूलों की विभिन्न प्रजातियाँ शामिल हैं। इन पौधों को देखकर यकीन होता है कि नियमित देखभाल और सकारात्मक सोच से घर को सौंदर्य और हरियाली से भरपूर बनाया जा सकता है।
लता जी बताती हैं कि पौधों की अच्छी देखभाल के लिए नियमित पानी का ध्यान, समय-समय पर नेम ऑयल का छिड़काव और शैंपू मिक्स पानी से पत्तों की सफाई जैसे छोटे उपाय बहुत प्रभावी होते हैं। इसी वजह से उनके सभी पौधे सदा हरे-भरे और खिलते हुए नजर आते हैं।
खलारी क्षेत्र में कार्यरत डॉक्टर पितांबर की पत्नी लता जी का कहना है कि बागवानी सिर्फ शौक नहीं, बल्कि मन की शांति का माध्यम है। सुबह-शाम चाय का समय वह पौधों के बीच बिताती हैं, जिससे उन्हें मानसिक सुकून और खुशी मिलती है। उनके अनुसार, अगर चाह हो, तो हर घर में थोड़ा सा स्थान हरा-भरा और सुंदर बनाया जा सकता है।
फिलहाल उनका यह अनुभव और सुझाव लता गार्डनिंग नामक उनके यूट्यूब ब्लॉग के माध्यम से भी लोगों तक पहुँच रहा है, जिससे कई लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपने घरों में बागवानी शुरू कर रहे हैं।

