नगरा अस्पताल के बगल में चल रहे अवैध क्लिनिक में जच्चा-बच्चा की मौत, संचालिका फरार — परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार
संजीव सिंह बलिया
बलिया। नगरा कस्बे में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और निजी क्लिनिकों की मनमानी का एक और भयावह उदाहरण सामने आया है। नगरा अस्पताल के बगल में चल रहे एक प्राइवेट क्लिनिक में प्रसव के दौरान हुई गंभीर लापरवाही के चलते जच्चा-बच्चा दोनों की दर्दनाक मौत हो गई। मृतका की पहचान संगीता देवी पत्नी झगरू राम निवासी गांव कसेसर के रूप में हुई है।
परिजनों के अनुसार, 19 अक्टूबर 2025 की सुबह करीब 9 बजे संगीता देवी को प्रसव पीड़ा होने पर नगरा अस्पताल के पास स्थित मंजू नाम की महिला द्वारा संचालित क्लिनिक में भर्ती कराया गया। बताया जा रहा है कि महिला ने अपने नाम “मंजू क्लिनिक” से यह अस्पताल चलाया था।
परिवार का आरोप है कि मरीज की सामान्य डिलीवरी संभव थी, लेकिन अवैध रूप से पैसा कमाने के लालच में ₹15,000 लेकर ऑपरेशन कर दिया गया। ऑपरेशन के कुछ ही देर बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी। जब स्थिति गंभीर हुई तो क्लिनिक स्टाफ ने मरीज को रेफर कर दिया, लेकिन उसी समय क्लिनिक संचालिका, डॉक्टर और पूरा स्टाफ गायब हो गया। इसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया।
मृतका का मायका देवढिया गांव में है। परिवार ने आरोप लगाया कि मंजू नामक महिला बिना किसी योग्य डॉक्टर के नाम से नगरा अस्पताल के बगल में अवैध रूप से क्लिनिक चला रही थी, जहां रोजाना कई गरीब महिलाएं प्रसव कराने आती थीं।
ग्रामीणों का कहना है कि यह स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही है कि सरकारी अस्पताल के बगल में एक फर्जी क्लिनिक इतने दिनों से चल रहा था और किसी अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
पीड़ित परिवार ने प्रशासन से न्याय और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
👉 घटना की तारीख: 19 अक्टूबर 2025
👉 स्थान: नगरा अस्पताल के बगल में, थाना नगरा, जिला बलिया
👉 मृतका: संगीता देवी पत्नी झगरू राम, निवासी कसेसर
👉 क्लिनिक संचालिका: मंजू (फरार)
👉 मायका: देवढिया गांव
👉 आरोप: सामान्य डिलीवरी के नाम पर ₹15,000 लेकर ऑपरेशन किया गया
👉 परिजनों की मांग: दोषियों की गिरफ्तारी व अवैध क्लिनिक पर सख्त कार्रवाई
यह घटना स्वास्थ्य विभाग की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है। सरकारी अस्पताल के ठीक बगल में चल रहे अवैध क्लिनिक में ऐसी मौत होना प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन कब तक कार्रवाई करता है और पीड़ित परिवार को न्याय कब तक मिलता है।

