Wednesday, December 17

बलिया।दिव्यांग बच्चों के समग्र विकास हेतु इंटीरेंट शिक्षक-अभिभावक संगोष्ठी का भव्य और प्रेरणादायक आयोजन 

दिव्यांग बच्चों के समग्र विकास हेतु इंटीरेंट शिक्षक-अभिभावक संगोष्ठी का भव्य और प्रेरणादायक आयोजन 

संजीव सिंह बलिया।उच्च प्राथमिक विद्यालय खरूआंव, विकासखंड नगरा, तहसील रसड़ा, जनपद बलियाडॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में समेकित शिक्षा के अंतर्गत आयोजित इस विशेष एवं अभूतपूर्व संगोष्ठी का उद्देश्य केवल जानकारी एवं शिक्षा का प्रसार ही नहीं है, बल्कि यह उन दिव्यांग बच्चों के भविष्य को स्वतंत्रता, समावेशन व स्वावलंबन की ओर ले जाने का एक अथक प्रयास है। इस आयोजन में भाग लेने वाले सभी शिक्षकों एवं अभिभावकों का हृदय से अभिनंदन और आभार व्यक्त किया गया।इस भव्य आयोजन का उद्घाटन खंड शिक्षा अधिकारी नगर राम प्रताप सिंह के गरिमामय नेतृत्व में हुआ। उन्होंने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर इस समारोह का शुुभारंभ किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं, बल्कि ईश्वर की देन है, जो हमें अधिक सहानुभूतिपूर्ण और संवेदनशील बनाने का संदेश भी देती है। उन्होंने दिव्यांग बच्चों और उनके अभिभावकों से कहा कि इन बच्चों की आशाओं और आकांक्षाओं को मनोबल और प्रेम के साथ पूर किया जाना चाहिए।

उनके प्रति सहानुभूति और सहयोग का भाव प्रत्येक शिक्षक एवं अभिभावक का संस्कार बनना चाहिए।इसी कड़ी में, बच्चों ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत एवं “नदिया धीरे-धीरे बहना” जैसे प्रकृति और पर्यावरण पर आधारित गीतों की प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को श्रद्धा और उल्लास से परिपूर्ण किया। इन कार्यों ने मानो बच्चों के मन में नयी ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार कर दिया।कार्यक्रम में उपस्थित इंटरनेट टीचर्स राधेश्याम यादव, अखिलेश यादव, अशोक यादव, चंद्रभूषण यादव, अजय कुमार, मुनेंद्र सिंह और शिप्रा सिंह ने अपने-अपने अनुभव और विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए इस क्षेत्र में नए दृष्टिकोण और तकनीकों का परिचय कराया। उनके विचारों ने शिक्षकों और अभिभावकों को नई प्रेरणा दी।अतिथि शिक्षक संकुल के दयाशंकर, प्रधानाध्यापिका कृष्णा देवी, राम प्रताप गौतम तथा अन्य अभिभावकों ने भी अपने विचार व्यक्त कर इस आयोजन की गरिमा को बचाए रखा। बच्चों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और अपने जीवन के लक्ष्यों को हर किसी के सामने प्रस्तुत किया। उनके आत्मविश्वास और विश्वास को देखकर उपस्थित सभी का मन गदगद हो उठा।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान एवं “वंदे मातरम” के उद्घोष से हुआ। प्रधानाध्यापिका कृष्णा देवी ने इस संकल्प और भावना से ओतप्रोत आयोजन के सफल संचालन के लिए आयोजकों, शिक्षकों एवं अभिभावकों का हृदय से आभार व्यक्त किया। सोनू सिंह, प्रमिला कुमारी जैसे सहयोगी अभिभावकों ने भी इस कार्यक्रम को सफलता के शिखर पर पहुंचाने में अपना योगदान दिया।यह संगोष्ठी शिक्षा, संवेदनशीलता और परस्पर सहयोग का एक उच्चतम उदाहरण है, जिसने न सिर्फ दिव्यांग बच्चों के जीवन में नई राहें प्रकाशित कीं, बल्कि समाज में भी उनके प्रति स्वीकृति, सम्मान और प्यार का संचार किया। आगामी दिनों में इन बच्चे के स्वतंत्र एवं उज्जवल भविष्य की संस्थागत नींव मजबूती से रखी गई है।अंत में, यह आयोजन हमें यह सन्देश भी देता है कि मानवता का वास्तविक परिचय तब ही होता है जब हम अपने सबसे नन्हे एवं कमजोर प्राणियों का सहारा बनते हैं, उन्हें स्वाभिमान और सम्मान से जीने का अधिकार दिलाते हैं। यह आयोजन निश्चित ही उस दिशा में एक मजबूत कदम है, जो समाज में बदलाव, जागरूकता और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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