Wednesday, December 17

अमेठी।श्रीमदभागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर महाराज नें कहा जिसके ऊपर भगवान की कृपा होती है उसके ऊपर सभी कृपा करते हैं।

श्रीमदभागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर महाराज नें कहा जिसके ऊपर भगवान की कृपा होती है उसके ऊपर सभी कृपा करते हैं।

अमेठी ब्यूरो रिपोर्ट संतोष त्रिपाठी 

 जनपद के तिलोई तहसील क्षेत्र शंकरगंज मेढ़ोना पूरे दान वैश मे होरी भब्य श्रीमदभागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर पूज्य महाराज जी नें कहा कि जिसके ऊपर भगवान की कृपा होती है उसके ऊपर सभी कृपा करते हैं।महाराज अंग की कथा सुनाते हुये महाराज जीने कहा कि इनका बेटा वेन हुआ जो बहुत दुराचारी था जिससे परेशान होकर अंग अपने ही राज्य में एक गुफा में जाकर छिप गये इसलिये व्यक्ति को उत्तम संस्कारी संतान का निर्माण करना चाहिये अन्यथा बुढ़ापे में ऐसे ही रोना पड़ता है, महाराज पृथु की कथा सुनाते हुये कहा कि महाराज पृथु बडे ही धर्मात्मा राजा हुये जिनके प्रताप के कारण ही इस धरा का नाम पृथ्वी पड़ा, महाराज पृथु नें यज्ञ किया फलस्वरूप भगवान से 10000 कान माँग लिया क्योंकि 2 कानों से भगवान की कथा सुनने से मन नहीं भरता महाराज जीनें कहा कि जिन कानों से भगवान की कथा नहीं प्रवेश करती है वो कान साँप के बिल के समान है, सतत्कुमारों नें महाराज पृथु को उपदेश देते हुये कहा कि आत्म वस्तुओं सें संग करो, महाराज पृथु तें दक्षिणा स्वरूप अपना सम्पूर्ण राज्म दान में दिया जिसे सनत्कुमारों नें स्वीकार करके पुनः महाराज पृथु को वापस दे दिया।

प्राचीनवर्हि की कथा सुनाते हुये महाराज जी नें कहा कि पशु बलि किसी भी दृष्टि से ठीक नही है इसलिये सबको शाकाहारी रहना चाहिये।पुरंजनों पाख्यान सुनाते हुये महाराज जी नें कहा कि जीवात्मा और परमात्मा में क्या सम्बन्ध है इसका ज्ञान होना चाहिये। ऋषभदेव की कथा सुनाते हुये महाराज जी नें बताया की यहीं से जैन मत का प्रारम्भ हुआ।जड़भरत जी की कथा सुनाते हुये महाराज जी नें कहा कि आत्मा अजर अमर है इसे कोई नष्ट नहीं कर सकता है। इसके पश्चात शुकदेव जी नें नरको का वर्णन किया है जिससे बचने का उपाय केवल भगवान का नाम है इसके उदाहरणस्वरूप शुकदेव जी नें अजामिलोपाख्यान सुनाया है इसके बाद विश्वरूप की कथा सुनाई जिसे देवताओं का गुरु बनाया गया जिनका वध इन्द्र द्वारा कर दिया गया जिसके कारन इन्द्र को ब्रह्म हत्या का पाप लगा जिसे इन्द्र नें चार स्थानों पर बाँट दिया पहला ऊसर भूमि दूसरा स्त्रियों में रज के रूप में तीसरा जल में झाग के रूप में चौथा वृक्षों में गोंद के रूप में इसके पश्चात हिरण्यकशिपु की कथा सुनाई जिसका अन्त करने के लिये भगवान को नृसिंह भगवान के रूप में अवतार लेना। पड़ा इसी का पुत्र प्रह्लाद जी भगवान के परम भक्त हुये उनके पिता द्वारा विभिन्न प्रकार की यातना देनें के बाद भी भगवान के प्रति उनका विश्वास नहीं डिगा सका अन्त में भगवान स्वयं खम्भे में से प्रकट होकर हिरण्यकशिपु का अन्त किया। इसके पश्चात महाराज जी नें भगवान के हरि अवतार की कथा सुनाई है जिसका अर्थ यह है कि ये संसार बनें का साथी है इसके बाद महाराज जी नें समुद्रमन्थन की कथा सुनाई है जब दैत्य अमृत लेकर भागने लगे तब भगवान ने मोहिनी अवतार लेकर सभी दैत्यों को मोहित कर लिया और सभी देवता अमृत पी गये।

राजा बलि से पृथ्वी कोमुक्त करने के लिये भगवान ने वामन रूपधारन किया है और वामन भगवान ने तीन पग में ही नाप लिया है और सम्पूर्ण पृथ्वी को ही दानस्वरूप माँग लिया।

इसके बाद भगवान राम की कथा सुनाई है और उसके बाद भगवान कृष्ण की क्या सुनाई है जब घरती पर जरासंघ और कंस आदि आततायियों का आतंक बढ गया तब भगवान नें मथुरा में देवकी माँ के गर्भ से कंस के जेल में हुआ फिर वसुदेव जी नें गोकुल में नन्द बाबा के यहाँ ले जाकर पहुंचा दिया और पूरे नन्द भवन में आनन्द छा गया चारों तरफ बधाइयां गाई जाने लगी सम्पूर्ण .नन्दगाँव आनन्द में सराबोर हो गया। यजमान अर्चना सिंह कृष्ण कुमार सिंह ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया। संचालन धर्मेश मिश्रा ने किया। इस मौके पर कुंवर मृगांकेश्वर शरण सिंह,पूर्व विधायक तेजभान सिंह, राधेश्याम धोबी, मानधारा सिंह, गौरीगंज के ब्लाक प्रमुख उमेश प्रताप सिंह, विपुल सिंह चौहान, अमन सिंह चौहान, राजेश विक्रम सिंह,सिंहपुर के ब्लाक प्रमुख अंकित पासी,खण्ड शिक्षा अधिकारी हरिओम तिवारी, राम किशन कश्यप, राम प्रसाद मिश्रा,सत्येन्द्र तिवारी, विवेक शुक्ला, अश्वनी द्विवेदी,पंकज शुक्ला,हनुमंत सिंह, प्रमोद तिवारी, दिलीप शुक्ला, अभय सिंह चौहान, डॉ आयुषी सिंह,बीरेंद्र प्रताप सिंह, मुन्ना सिंह पिठला, देवी शरण बाजपेई,मनीष सिंह, राम जी सिंह, धीरु सिंह सहित हजारों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।

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