Monday, December 15

बलिया।साधारण हवन और चण्डी पाठ के हवन में गहरा अंतर : शतमंगल अग्नि से होता है सौ प्रकार का कल्याण 

साधारण हवन और चण्डी पाठ के हवन में गहरा अंतर : शतमंगल अग्नि से होता है सौ प्रकार का कल्याण 

 संजीव सिंह बलिया। उज्जैन समरसता प्रमुख मौनतीर्थ पीठ महाकालेश्वर, डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने साधारण हवन और चण्डी पाठ की पूर्ति के बाद होने वाले हवन के बीच के महत्वपूर्ण अंतर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह अंतर समझकर जो साधक हवन करता है, वही उत्तम और स्थायी फल पाता है। चण्डी पाठ में विशेष रूप से शतमंगल अग्नि की स्थापना होती है, जिनकी विशेषता है सौ प्रकार से कल्याण प्रदान करना। जिस प्रकार शताक्षी देवी अपनी दृष्टि से भक्तों का कल्याण करती हैं, उसी प्रकार शतमंगल अग्निदेव देवी की आज्ञा से आरोग्य, आयु, ऐश्वर्य, शत्रुनाश, रोग नाश और भय नाश करते हैं।

साधारण बनाम चण्डी हवन के मंत्र और आहुतिडॉ. विद्या सागर उपाध्याय बताते हैं कि साधारण हवन और देवी हवन में मंत्र, आचमन और आहुति की पद्धति अलग होती है।साधारण हवन में अग्निबीज “रं” लिखा जाता है जबकि चण्डी हवन में यह “ह्रीं” से अंकित होता है।साधारण पूजन में तीन बार आचमन किया जाता है, वहीं देवी पूजन में चार बार आचमन होता है।सामान्य आचमनीय मंत्र : “ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः”।देवी पूजन में आचमन हेतु : “ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः, ॐ ह्रीं विद्यात्मकत्वं शोधयामि नमः, ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्व तत्त्वं शोधयामि नमः” का उच्चारण होता है।सामान्य हवन में आहुति मंत्र : “ॐ भूः स्वाहा, ॐ भुवः स्वाहा, ॐ स्वः स्वाहा, ॐ प्रजापतये स्वाहा”।देवी हवन की आहुतियाँ : “ह्रीं महाकाल्यै स्वाहा, ह्रीं महालक्ष्म्यै स्वाहा, ह्रीं महासरस्वत्यै स्वाहा, ह्रीं प्रजापतये स्वाहा”।हवन सामग्री और उनका महत्वप्राचीन परंपराओं और ग्रंथों से प्राप्त प्रमाणिक हवनीय द्रव्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि किस आहुति से कौन-सा फल प्राप्त होता है।पायस से समृद्धिसुगंधित पेय से देवी कृपामधु से रोग और शत्रु नाशपीली सरसों से शत्रु भय नाशक्षीर, गोघृत और मधु मिश्रित आहुति से अपार संपदाकमल पुष्प से देवी कृपामालती और जाती पुष्प से विद्या प्राप्तिपीली सरसों और गुग्गल से शत्रु नाशकाली मिर्च से शत्रु उच्चाटनअनार से ऐश्वर्य और यशशाक आहुति से भोज्य पदार्थों में वृद्धिअंगूर, इलायची और केसर से सौंदर्य और संपत्ति लाभभोजपत्र से विजय प्राप्तिकमलगट्टा से लक्ष्मी की प्राप्तिरक्तचंदन से रोग-शत्रु नाशइसके अलावा पान के पत्ते, नारियल और नैवेद्य भी देवी को प्रिय माने जाते हैं और इनका प्रयोग हवन में विशेष फल देने वाला है।चण्डी हवन का महत्वडॉ. विद्या सागर उपाध्याय ने कहा कि सप्तशती के तेरह अध्यायों का अनुष्ठान और हवन जीवन को रोग तथा शत्रु से मुक्त कर

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