वंचितों के मसीहा थे पेरियार रामासामी नायकर-चंद्रभूषण सिंह यादव
देवरिया ।पेरियार रामासामी नायकर ने 1950 के दशक में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मद्रास राज्य बनाम चंपक दुरईराजन केस में दिए गए पिछड़े वर्गों की शिक्षा और नौकरी में अवसर सीमित करने के फैसले के विरुद्ध देश व्यापी आंदोलन छेड़ दिया था जिसके बाद भारत सरकार को अपने पहले संविधान संशोधन अधिनियम में 15(4) और 16(4) का प्राविधान करना पड़ा जो राज्य को शिक्षा और नौकरी में पिछड़े वर्गों को विशेष अवसर प्रदान करने का अधिकार देता है,उक्त उद्गार रामपुर कारखाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत डुमरी स्थित सपा जनसंपर्क कार्यालय पर आयोजित पेरियार जयंती कार्यक्रम में व्यक्त करते हुए सपा के पूर्व प्रवक्ता चंद्रभूषण सिंह यादव ने कहा कि पेरियार रामासामी नायकर वंचितों के मसीहा थे।
सपा के पूर्व प्रवक्ता चंद्रभूषण सिंह यादव ने कहा कि पेरियार साहब के बारे में यही धारणा आमतौर पर प्रचारित है कि वे ईश्वर विरोधी,धर्म विरोधी, देवी -देवता विरोधी एवं अंधश्रद्धा विरोधी थे लेकिन पेरियार साहब तर्कवादी सोच के साथ -साथ इस देश के वंचितों के हितार्थ आजादी के पहले से लेकर आजादी के बाद तक लड़ते रहने वाले सच्चे सामाजिक न्याय के अग्रदूत थे।पेरियार साहब ने आजादी के बाद पिछड़ों के हितार्थ जहां पहला संविधान संशोधन करवाया वहीं उन्होंने आजादी के पूर्व 1920 में तिरुनेलवेली,1921 में तंजोर ,1922 में तिरुपुर,1923 में सलेम,1924 में तिरुवन्नामलाई एवं 1925 में कांचीपुरम के कांग्रेस अधिवेशनों में लगातार छः बार जातीय प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव रखते हुए देश के दबे -कुचले वर्गों को हिस्सेदारी देने का अभियान छेड़े रखा।पेरियार साहब देश में सामाजिक न्याय आन्दोलन की मजबूत आधारशिला रखने वाले वंचितों के महानतम मसीहा थे जिन्हें उनकी जन्म जयंती पर नमन है।
जयंती कार्यक्रम में उपस्थित सुरेश नारायण सिंह यादव, पारस प्रसाद, मालती देवी,अवधेश प्रसाद गौतम,अशोक यादव,रामप्रवेश यादव,सदानंद प्रसाद,दयानंद यादव, बेलभद्र गोंड,अयोध्या वर्मा,संजय यादव,व्यास यादव,संतोष मद्धेशिया,अभिषेक गुड्डू गोंड,नाजिर अंसारी,श्यामसुंदर प्रसाद आदि ने पेरियार रामासामी नायकर को उनके जन्मदिन पर नमन किया।

