
फर्जी नामांकन और सरकारी धन गबन का आरोप, प्राथमिक विद्यालय बरैयां पर उठे गंभीर सवाल
शिकायतकर्ता ने डीएम से निष्पक्ष जांच की मांग की, खंड शिक्षा अधिकारी पर शिकायत दबाने का आरोप
जौनपुर। उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक ओर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने के लिए लगातार कड़े कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की वास्तविक संख्या को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ऐसा ही एक गंभीर मामला प्राथमिक विद्यालय बरैयां से सामने आया है, जहां फर्जी नामांकन कर सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 50 से कम होने के बावजूद अभिलेखों में 76 बच्चों का नाम दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता राजकिशोर पांडे द्वारा आईजीआरएस के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारी बदलापुर को शिकायत की गई थी, लेकिन आरोप है कि निचले स्तर पर मामले की लीपापोती की जा रही है। यही कारण है कि शिकायतकर्ता ने 29 जुलाई 2022 को जिलाधिकारी जौनपुर को लिखित शिकायत देकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
शिकायत में बताया गया कि वर्ष 2021-22 में 156 और 2022-23 में 168 बच्चों को मिड डे मील, स्कॉलरशिप, ड्रेस, किताबें आदि का लाभ मिला, जबकि सूचना अधिकार के तहत प्राप्त आंकड़ों में 2021-22 में केवल 63 और 2022-23 में 37 बच्चों का ही विवरण दिया गया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कार्यरत शिक्षिका कुसुम देवी और शिक्षक आशीष सिंह ने अपने बच्चों के नाम भी सरकारी विद्यालय में दर्ज कर रखे थे, जबकि वे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कर रहे थे। कुसुम देवी की पुत्री यशस्वी पांडे सेंट जेवियर स्कूल बदलापुर में और आशीष सिंह के पुत्र आज़ाद विक्रम सिंह नवोदय विद्यालय रामीपुर में पढ़ते थे।
शिकायत में यह भी बताया गया कि कुसुम देवी 2016-17 से 2021-22 तक कार्यवाहक प्रधानाचार्य पद पर रहीं और इसी दौरान नामांकन में व्यापक गड़बड़ी कर मिड डे मील, ड्रेस, बैग, किताब जैसी योजनाओं का धन गबन किया गया।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि खंड शिक्षा अधिकारी अरविंद कुमार पांडे ने 22 जुलाई 2025 को शाम 5 बजे शिकायतकर्ता को बुलाकर लगभग डेढ़ घंटे तक वार्ता की, लेकिन किसी भी दस्तावेज़ की समीक्षा नहीं की और शिकायतकर्ता पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया।
शिकायतकर्ता ने प्रारंभिक विद्यालय बरैयां के अतिरिक्त अगल-बगल के प्राइवेट स्कूलों से भी 2016 से अब तक के छात्रों की सूची मांगी है, जिससे यह साफ हो सके कि बच्चे वास्तव में कहां पढ़ रहे थे।
अब शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की जांच बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखनाथ पटेल की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय टीम से कराई जाए, जिससे शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा सामने आ सके।
इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दोनों लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है ,मामला 2022 का है।

