
स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर विश्वविद्यालय में श्रद्धांजलि, युवाओं के लिए प्रेरणा बने उनके विचार: कुलपति
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में शुक्रवार को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय में स्थापित उनकी प्रतिमा पर कुलपति प्रो. वंदना सिंह सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारियों ने पुष्प अर्पित किए और उनके विचारों को साझा किया।
कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारतीय दर्शन के प्रभावशाली व्याख्याता थे। उनके ओजस्वी विचारों और विश्व धर्म संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए। सारी शक्ति तुम्हारे भीतर है; तुम सब कुछ कर सकते हो।” यह संदेश आज भी युवाओं को आत्मबल और आत्मविश्वास प्रदान करता है। कुलपति ने कहा कि विवेकानंद के उच्चतम आदर्शों को अपनाकर हम एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार न केवल आत्मबल को बढ़ाने वाले हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र की सेवा को भी सच्चा धर्म मानते हैं। उन्होंने विवेकानंद के एक प्रसिद्ध उद्धरण का हवाला देते हुए कहा कि “यह विश्व एक महान व्यायामशाला है, जहां हम स्वयं को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।” ऐसे विचार हमें ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की अवधारणा को व्यवहार में उतारने की प्रेरणा देते हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो. विक्रम देव शर्मा, प्रो. मनोज मिश्र, प्रो. सौरभ पाल, प्रो. राजकुमार, प्रो. गिरिधर मिश्र, डॉ. राज बहादुर यादव, उप कुलसचिव बबिता, अजीत प्रताप सिंह, डॉ. श्याम कन्हैया सिंह, डॉ. धीरेन्द्र चौधरी, डॉ. शशिकांत यादव, राजेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. इन्द्रेश गंगवार सहित अन्य शिक्षक व अधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के माध्यम से उपस्थितजनों ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करने और राष्ट्र सेवा में समर्पित रहने का संकल्प लिया।

