
अवैध तमंचा बनाने वाला अभियुक्त तमंचा व तमंचा बनाने में प्रयुक्त होने वाले सामान के साथ गिरफ्तार।
आजमगढ़।तहबरपुुुुर थानाध्यक्ष उप निरीक्षक चन्द्रदीप कुमार हमराही पुलिस बल के साथ तहबरपुर तिराहे पर मामूर थे। वहां उपनिरीक्षक लोकेश मणि त्रिपाठी मौजूद थे। इसी बीच मुखबिर द्वारा आकर सूचना दी कि अवैध असलहा बनाकर विक्रय करने वाले एक व्यक्ति का पता चला है जो इस समय अपने घर पर थाने के खुटिया गांव में अवैध असलहों का निर्माण कर रहा है। प्राप्त सूचना के आधार पर थाने पर सूचना देकर उ0नि0 मानवेन्द्र प्रताप सिंह मय हमराह को बुलाया गया। पुलिस बल मुखबिर द्वारा बताये गये स्थान पर जाकर छापा मारा गया तो वहाँ से एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया । जिसने पूछने पर अपना नाम लालधारी पुत्र हरगुन बताया। जाँच में अभियुक्त के कब्जे से 05 अदद पूर्ण निर्मित तमंचा .315 बोर, 02 अदद पूर्ण निर्मित पुराना तमंचा 12 बोर व एक अदद मिश कारतूस .315 बोर , 03 अदद अर्ध निर्मित तमंचा .315 बोर (बाडी) व 6 अदद नाल अर्धनिर्मित तथा वैध तमंचा व कारतूस बनाने में लगने वाले कुल 167 अदद सामान/औजार (01 अदद ड्रिल मशीन व 10 अदद ड्रिल मशीन का बीट (वर्मा), 02 अदद ड्रिल मशीन का पाना, 01 अदद ग्राइण्डर मशीन व ग्राइण्डर मशीन का रेगमार्क 06 अदद, सरिया काटने का डिस्क 06 अदद, 01 अदद ठीहा मय बाका, 01 अदद 5 किग्रा का बाट, 01 अदद पिलास, 01 अदद बड़ा हथौड़ा, 01 अदद छोटी हथौड़ी व रेती छोटा व बड़ा 06 अदद, 02 अदद सड़सी व 01 अदद आरी, आरी का ब्लेड सही, टूटा कुल 13 अदद, 02 अदद पेचकस, 04 अदद स्प्रिंग, 04 अदद छेनी व 01 अदद सुम्मी, 01 अदद नाल का होल सेट करने वाला ठासा, 05 अदद चूड़ी काटने वाला टप, कील छोटा बड़ा कुल 95 अदद, 01 अदद विजली का बोर्ड मय तार व एक अदद चद्दर लोहे का लम्बाई 52 सेमी व चौड़ाई 18 सेमी) बरामद हुआ। गिरफ्तारी व बरामदगी के आधार पर तहबरपुुुुर थाने पर मु0अ0सं0 37/25 धारा 3/5/25 आयुध अधिनियम का अभियोग पंजीकृत चालान कर दिया। गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा पूछताछ में बताया गया कि मै पिछले कई वर्षों से अवैध असलहा बनाने का अकेले कार्य करता हूँ। कई बार असलहा फैक्ट्री व असलहा में जेल भी गया हूँ। कुछ वर्षों सें काम छोड़ दिया था परन्तु रोजी रोटी में दिक्कत होने के कारण पुनः बनाने का काम शुरू कर दिया था। ये सब बनाने का सामान कबाड़ी की दुकान से अपने काम लायक लोहे की पाइप एवं अन्य सामान चुनकर खरीद लेता था। और रात्रि के समय जब सब लोग शो जाते थे तो धीरे धीरे अपने घर में ही बनाने का काम करता था और अच्छे दाम मिलने पर बनाये गये असलहो को बेच देता था।
