
भक्ति करने में उम्र कोई बाधक नहीं होती हैं- जयंन्तुजय महाराज
शरद बिंद ।भदोही
जंगीगंज। महाशक्ति पीठ अजोराधाम में तृतीय दिवस प्रातः वेद मंत्रों से यज्ञ में आहुति दी गयी। देवपूजन के दौरान परमेश्वर नाथ मिश्र व रेखा मिश्र द्वारा वैदिक रोहित मिश्र, मनीष त्रिपाठी, आचार्य नित्यानंद तिवारी , पंडित पुष्पेंद्र मिश्र के आचार्यत्व व पौरोहित्य में हुआ। कथा के तीसरे दिवस व्यास श्री जयन्तुजय जी ने उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। कहा कि शांति व संतोष का मार्ग दिखाती है श्रीमद् भागवत कथा। मनुष्य को व्याधियों से मुक्त करना व शांति-संतोष का मार्ग यह कथा ही दिखाती है। कथा सुन लेने मात्र से प्राणी समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
कथा व्यास ने बताया कि मां सती ने महादेव के कथन को नहीं माना। दक्ष प्रजापति के कारण यज्ञ में प्राणों का अंत करना पड़ा। किसी भी विवाहिता को अपने पतिधर्म का सदैव पालन करना चाहिए। विवाह उपरांत पति का घर ही सर्वोच्च मानना चाहिए। पति की निष्ठा पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए। पति पत्नी इस जीवन रूपी यज्ञ को अपने-अपने विश्वास और प्रेम की आहुति से पूर्ण करते हैं। अपने पिता के घर बिना बुलाए जाना सम्मानजनक नहीं होता है। आज समाज में हो रही भ्रूण हत्या को सबसे बड़े पाप की संज्ञा देते हुए आवाहन किया कि पुत्र-पुत्री को समान समझा जाना चाहिए। परमात्मा की किसी भी उत्पत्ति का विनाश नहीं करना चाहिए। यह जीवन के संतुलन बिगाड़ता है।
अजोरा धाम में 21 अलग-अलग वृक्षारोपण भी कथा यजमान ने किया। कथा व्यास ने पौधरोपण करने के प्रति भी आवाहन करते हुए कहा कि पेड़ जीवन के आधार हैं। इनका कम होना ही पर्यावरण असंतुलन का मुख्य कारण है। कथा व्यास कहते हैं कि माता-पिता का सम्मान अपने स्थान पर है। पति का सम्मान सर्वोच्च होता है। यही जीवन की सफलता का मुख्य सूत्र है। भारतवर्ष के सभी माता-पिता अपनी पुत्री के विवाह पर यही समझाते हैं कि पति का घर ही तुम्हारा घर है। कथा व्यास कहते हैं कि ईश्वर अपने भक्तों के विश्वास को पूर्ण करते हैं। संकट से उबारते हैं। बाकी सब कुछ ईश्वर मेरे हाथ में छोड़ दो। इस अवसर पर डॉ रामेश्वर प्रसाद मिश्र, डॉक्टर भारतेंदु द्विवेदी, डॉक्टर सविता द्विवेदी, श्रीमती सुनीता, वैकुंठ नाथ मिश्र आदि गणमान्य के अतिरिक्त सेमराधनाथ के महंत भी उपस्थित रहे।

