विद्यालयों में छात्र उपस्थिति की सख्त निगरानी: बीएसए ने 90% से अधिक उपस्थिति का सत्यापन और 70% से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों में अभिभावकों से जुड़ाव का आदेश दिया
संजीव सिंह बलिया।बलिया में विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति को लेकर कड़ी निगरानी का सिलसिला तेज हो गया है। बीएसए मनीष कुमार सिंह ने सभी विद्यालयों में उपस्थिति की गहन जांच और नियंत्रण के कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जिन स्कूलों में छात्र उपस्थिति दर 90 प्रतिशत या उससे अधिक है, उनका नियमित सत्यापन कर वास्तविक उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी ताकि किसी भी तरह की फर्जीवाड़ा या गलत सूचना न रहे।
इस कदम से शिक्षा विभाग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता में वृद्धि की उम्मीद है।वहीं, उन विद्यालयों पर विशेष फोकस रखा जाएगा जहां छात्र उपस्थिति 70 प्रतिशत से कम दर्ज हो रही है। उन स्कूलों में अभिभावकों से सीधे संपर्क करने तथा उनकी सहभागिता बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसका उद्देश्य बच्चों की नियमित उपस्थिति को बढ़ाना और शिक्षा के प्रति अभिभावकों की जागरूकता और जिम्मेदारी को सशक्त करना है। बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में इस आदेश के पूर्ण अनुपालन का सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि विद्यार्थी उपस्थिति में कोई भी फर्जीवाड़ा कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।यह आदेश मुख्यमंत्री के डैशबोर्ड पर विकास एवं शिक्षा कार्यों की प्रगति की समीक्षा बैठक के निर्देशित करते हुए जारी किया गया है, जिसमें आयुक्त आजमगढ़ मंडल ने भी शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी को गंभीरता से लेने पर बल दिया है। इस दिशा में बीएसए ने सभी शिक्षा अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि विद्यालयों में निर्धारित मेनू एवं गुणवत्ता के अनुसार पौष्टिक और संतुलित मध्याह्न भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जाए।इस पहल का मकसद न केवल स्कूलों में छात्र उपस्थिति बढ़ाना है, बल्कि बच्चों के पोषण स्तर को भी बेहतर बनाना है, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में सुधार हो सके। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से विद्यालयी शिक्षा को और अधिक प्रभावशाली और परिणामदायक बनाने की उम्मीद जताई जा रही है।बीएसए मनीष कुमार सिंह ने शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट रूप से बताया कि स्कूलों में उपस्थिति के आंकड़ों का सत्यापन प्रभावी ढंग से किया जाए तथा विद्यालयों में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। यह भी निर्देश दिया गया है कि अभिभावकों को शिक्षकों के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए ताकि बच्चों के शिक्षण में सभी का सहयोग सुनिश्चित हो सके।इस व्यवस्था से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि बच्चों के नियमित विद्यालय आना भी सुनिश्चित होगा, जो आज के शैक्षिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। आने वाले समय में इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों के निरंतर निरीक्षण और समीक्षा के साथ शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की दिशा में बड़े कदम उठाए जाएंगे।

