बलिया सांसद सनातन पाण्डेय ने परसिया में पीड़ितों से किया मुलाकात, तहसीलदार रसड़ा द्वारा तोड़े गए घरों पर जताया गहरा आक्रोश।
संजीव सिंह बलिया। संसदीय क्षेत्र के सांसद सनातन पाण्डेय ने परसिया ग्राम सभा में तहसीलदार रसड़ा द्वारा बिना नोटिस और पैमाइश के तोड़े गए छह परिवारों के घरों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। बीते दिनों रसड़ा के तहसील प्रशासन ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए परसिया में छह परिवारों के घर गिरा दिए थे, जिससे उन परिवारों का जीवन तहस-नहस हो गया। सोमवार को सांसद पाण्डेय पीड़ित परिवारों से मिलकर उनकी दयनीय स्थिति का जायजा लिया और उन्होंने उपजिलाधिकारी रसड़ा रविकुमार व जिला मजिस्ट्रेट से इस मामले में वार्ता की।सांसद सनातन पाण्डेय ने कहा कि बिना उचित नोटिस और पैमाइश के किसी के घर को गिराना न्यायसंगत नहीं है।
उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि जल्द से जल्द प्रभावित परिवारों को आवास मुहैया कराने का प्रयास किया जाए ताकि वे पुनः अपने जीवन को सुधार सकें। सांसद ने ये भी कहा कि रसड़ा तहसील में स्थित सार्वजनिक जमीन को खाली कराया जाना चाहिए ताकि इस प्रकार की घटनाएं दोबारा ना हों।उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शासन नीति की ओर इशारा करते हुए कहा कि कमजोर और गरीब लोगों को बेघर करना सरकार की नीति नहीं होनी चाहिए, पर अफसोस की बात है कि रसड़ा तहसील प्रशासन ने राजनैतिक दबाव में आकर ऐसा अंजाम दिया है। वे कुछ राजनीतिक लोग पर भी नाराजगी व्यक्त की, जो पीड़ित परिवारों को भ्रमित करके उन्हें यह आश्वासन देते हैं कि घर गिराए गए परिवारों को आवास मिलेगा, जबकि ऐसा कुछ भी हो नहीं रहा है।इस मौके पर सांसद के साथ पूर्व प्रमुख रामेश्वर पाण्डेय, प्रभुनाथ यादव, राम-अवध यादव, नमोनारायण सिंह एवं ओमप्रकाश यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। सांसद ने प्रशासन से मांग की कि पीड़ितों को शीघ्र सहायता प्रदान की जाए और भविष्य में ऐसे मनमाने कदम न उठाए जाएं ताकि आम लोगों को न्याय मिले और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।यह मामला बलिया जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की संवेदनशीलता और आम जनता के प्रति जवाबदेही के सवाल को भी नई दिशा देता है। सांसद पाण्डेय ने कहा कि वे लगातार इस मामले की निगरानी करेंगे और पीड़ित परिवारों के हित में आवश्यक कार्रवाई कराएंगे।यह स्थिति दर्शाती है कि लोकतंत्र में सबका संरक्षण और न्याय सुनिश्चित करना कितना आवश्यक है, खासकर कमजोर एवं वंचित वर्ग के लिए, जिन्हें शासन के प्रति विश्वास बनाए रखना होता है।

