शांभवी धाम कसेसर में भागवत कथा के चौथे दिन गूंजे श्रीकृष्ण अवतरण के प्रसंग ।
संजीव सिंह बलिया।शांभवी धाम कसेसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वृंदावन से पधारे अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास मारुतिनंदनाचार्य वागीश जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि सनातन वैदिक धर्म में गृहस्थ आश्रम कभी निन्दनीय नहीं रहा, अपितु ऋषि – परम्परा ने ही गृहस्थ जीवन के माध्यम से सृष्टि परम्परा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने चारों आश्रमों — ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास — का क्रमशः और सम्यक पालन हर सनातनी का कर्तव्य बताया और उदाहरण स्वरूप कहा कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इन चारों आश्रमों से होकर ही वैकुंठ को प्रस्थान किया।रत्नगर्भा है माता वसुन्धरा, अवतरित होती हैं दिव्य आत्माएंवागीश जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि माता वसुन्धरा कभी बांझ नहीं रही हैं, वह सदैव रत्नगर्भा रही हैं। जब जैसी आवश्यकता होती है, वैसे दिव्य आत्माओं का आलोकिक अवतरण होता है। रावण जैसे असुरों के अत्याचार को समाप्त करने के लिए प्रभु श्रीराम का अवतरण हुआ और जब कंस के अत्याचार से समाज त्राहि – त्राहि कर रहा था, तो उसी कंस के कारागार में मध्य रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए।कृष्ण जन्म प्रसंग पर झूम उठे श्रद्धालुकथा में कृष्ण जन्म का प्रसंग जब मंचित हुआ तो साथ आए कलाकारों ने भगवान का दिव्य रूप प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। मंच पर जैसे ही दृश्य आया कि कारागार के प्रहरी सो गए, माता – पिता की बेड़ियां अपने आप खुल गईं और वसुदेव जी अपने पुत्र को टोकरी में लेकर नंद बाबा के घर पहुंचे, वैसे ही वातावरण भक्तिमय हो उठा।
पीछे से गूंजते बधाई गीतों की धुन पर श्रद्धालु झूमकर नाचने लगे।कथा का समापन भगवान की संक्षिप्त बाल लीलाओं के मनोहारी वर्णन के साथ हुआ, जिसने लोगों को गहरे आनंद और भक्ति में सराबोर कर दिया।विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति से बढ़ी शोभाकथा में आयोजक स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज के साथ कई गणमान्य एवं विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। प्रमुख अतिथियों में शिक्षाविद डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, पूर्व ब्लॉक प्रमुख अक्षय लाल यादव, भाजपा के सिकंदरपुर मण्डल अध्यक्ष आकाश तिवारी, अमर उजाला के पत्रकार अजय तिवारी, मनोज गुप्त, आशीष तिवारी, रितेश दुबे, आदित्य मिश्र, गुड्डू बाबा, किशन तिवारी सहित भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर कथा श्रवण का पुण्य अर्जित किया।व्यासपीठ पूजन के साथ संपन्न हुई रसपूर्ण कथाकथा के दौरान व्यासपीठ पूजन का कार्य आचार्य विकास उपाध्याय और आदर्श तिवारी जी द्वारा विधिविधान से सम्पन्न कराया गया। पूरे आयोजन स्थल पर दिव्यता और भक्ति का अद्भुत माहौल बना रहा, जिसमें हर कोई भगवान की लीलाओं में खो गया।

