
गोवा में सर्पदंश से मजदूर की मौत, ग्रामीणों ने चंदा कर शव फ्लाइट से लाया।
शरद बिंद/भदोही।
दुर्गागंज। दुर्गागंज थाना क्षेत्र के अर्जुनपुर गांव में सन्नाटा पसर गया है। गोवा में मजदूरी करने गए स्थानीय मजदूर जिला जीत की सर्पदंश से अचानक मौत हो गई। परिवार की दयनीय स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर शव को फ्लाइट से घर पहुंचाया। इस हृदयविदारक घटना ने पूरे गांव को शोक की लपेट में ले लिया है। जिला जीत के परिवार को सरकारी आवास भी अभी तक नहीं मिला है, वे टीन शेड में गुजारा कर रहे हैं।
जिला जीत, जो परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था, गोवा में मजदूरी के सिलसिले में गया था। वहां काम करते हुए अचानक सर्पदंश का शिकार हो गया। इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। खबर मिलते ही अर्जुनपुर गांव में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि शव को वापस लाने के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन ग्रामीणों ने एकजुट होकर चंदा इकट्ठा किया और एयरलिफ्ट की व्यवस्था की। शव के गांव पहुंचने पर सांत्वना देने वालों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। जिला जीत की सात बेटियां—चंदा, बिंदु, इंदु, पायल, खुशबू, प्रियंका और ज्योति—रोते-रोते बेहोश हो रही थीं। उनकी करुण क्रंदन से लोगों का कलेजा पसीज गया। गांव वालों की आंखों से भी आंसू छलक पड़े। इतना दर्द देखकर कोई भी भावुक हो जाए।
इस घटना से गांव में चूल्हे नहीं जले। सभी घरों में सन्नाटा छा गया। ग्रामीणों ने गुस्से में कहा कि जनप्रतिनिधि चुनाव के समय जाति के नाम पर वोट लेने आते हैं, लेकिन समाज में कोई विपत्ति आती है तो दर्शन देने तक नहीं पहुंचते। वे सिर्फ वोट बैंक के लिए आते हैं, असल मदद का नामो निशान नहीं। इस दुखद घटना में ग्रामीणों ने ही कमान संभाली। सीतामढ़ी घाट पर ग्रामीणों की मदद से जिला जीत का अंतिम संस्कार किया गया। शोक सभा में पूर्वांचल प्रभारी सालिक राम यादव, डॉ. सुजीत बिंद, रमेश चंद्र बिंद, धीरज दुबे, अजय कुमार और संजय कुमार ने पहुंचकर परिवार को सांत्वना दी। उन्होंने जिला सरकार से परिवार को तत्काल सरकारी आवास, आर्थिक सहायता और बेटियों के भविष्य के लिए विशेष मदद की मांग की है।
जिला जीत की मौत ने मजदूर वर्ग की बदहाली को उजागर कर दिया है। ग्रामीण इलाकों में गरीबी, बेरोजगारी और सरकारी योजनाओं की कमी से लोग पलायन को मजबूर हैं। गोवा जैसे दूरस्थ स्थानों पर काम करने जाते हैं, लेकिन वहां कोई हादसा हो जाए तो परिवार अकेला पड़ जाता है। अर्जुनपुर जैसे गांवों में टीन शेडों में जीवन बिताने वाले परिवारों को आवास का लाभ कब मिलेगा? यह सवाल उठ रहा है। स्थानीय प्रशासन से अपील की जा रही है कि इस परिवार को जल्द राहत प्रदान की जाए। सात बेटियों वाला यह परिवार अब किसके सहारे जिएगा? गांव वाले कहते हैं कि समाज को एकजुट होकर ऐसे परिवारों का साथ देना होगा। इस घटना ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।

