
भ्रष्टाचार के मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर नगर पंचायत में उच्चस्तरीय जांच शुरू।
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)। भ्रष्टाचार की गम्भीर शिकायत पर नगरा नगर पंचायत पर उच्चस्तरीय जांच टीम के पहुंचते ही कार्यालय में हडकम्प मंच गया। अधिकतर कर्मचारी कार्यालय छोड़कर इधर उधर भागमभाग में अफरा तफरी का माहौल बन गया।
उच्च न्यायालय के आदेश पर नगर पंचायत नगरा कार्यालय में शनिवार को जांच को धमके अपर जिलाधिकारी अनिल कुमार सिंह, उपजिलाधिकारी संजय कुमार कुशवाहा व वित्त एवं लेखाधिकारी ने कार्यालय में घंटों तक फाइलों को खंगाला। इसके बाद आधा दर्जन फाइलों को साथ में लेते गए। इससे नगर पंचायत से जुड़े लोगों में खलबली मच गई। नगरा क्षेत्र के एक समाजसेवी ने वर्ष 2024 में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका योजित कर जेसीबी न खरीद कर धन का आहरण करने, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की धांधली व 14 वां 15 वां वित्त आयोग की धनराशि गबन करने आरोप लगाया था। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में तत्कालीन जिलाधिकारी ने 31 जनवरी 2024 को एडीएम के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया था। इसमें एसडीएम, कोषाधिकारी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग को कमेटी का सदस्य बनाया था लेकिन जांच समिति ने जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति किया गया। समाजसेवी ने पुनः न्यायालय की शरण में गया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने कडा रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी को 14 अगस्त 2025 तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन हरकत में आ गया। इस संबंध में नगर पंचायत नगरा के ईओ मृदुल सिंह का कहना है कि एडीएम के नेतृत्व में जांच टीम कार्यालय में पहुंची थी। जांच के बाद कुछ फाइलों को अपने साथ ले गई है।

