Sunday, December 14

निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका,कई नेताओं ने दिये इस्तीफे, भाजपा में शामिल

निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका,कई नेताओं ने दिये इस्तीफे, भाजपा में शामिल

*कुमायूं में कांग्रेस फिर संघर्ष करने की स्थिति में

(आशुतोष शर्मा )देहरादून/पिथौरागढ़/अल्मोड़ा । निकाय चुनाव से पूर्व प्रदेश में कांग्रेस कमजोर स्थिति में होती जा रही है कुमाऊं में कांग्रेस एक बार फिर संघर्ष करने की स्थिति में आ गई है कई वरिष्ठ नेताओं के इस्तीफा देकर भाजपा में चले जाने के कारण कांग्रेस रसातल की तरफ जाने लगी है ।.पार्टी में हो रही इस भगदड़ के कारण पूर्व मुख्यमंत्री हरीश सिंह रावत असमंजस की स्थिति में है। कांग्रेस को एक बार फिर से एक बड़ा झटका लगा है। तीन बड़े नेता, जो कांग्रेस के लिए कुमाऊं जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में खड़े थे, ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। और यह केवल एक सामान्य पार्टी स्विच नहीं है, इन तीनों नेताओं का संबंध पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से रहा है, जिनका कुमाऊं में मजबूत प्रभाव था।हरीश रावत, जिन्हें कांग्रेस में अब भले ही कोई अहम पद न मिला हो, लेकिन उनकी पकड़ और संगठनात्मक ताकत आज भी बरकरार है।

चुनावी राजनीति में उनका महत्व कभी नकारा नहीं जा सकता। चाहे लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, हरियाली की उम्मीद से लेकर निकाय चुनाव तक, हरीश रावत और उनके समर्थकों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है।

2022 के विधानसभा चुनाव में, जब मोदी लहर ने कुमाऊं में कांग्रेस के लिए बल दिखाया, तो रावत की कड़ी मेहनत के कारण ही कुमाऊं से कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं। और यही कुमाऊं क्षेत्र भाजपा के लिए अब खतरे की घंटी बन चुका है, क्योंकि वहां की कांग्रेस की स्थिति मजबूत है, और उसका श्रेय रावत को जाता है।

अब कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने वाले तीन नेताओं के कदम ने इस असंतुलन को और गहरा कर दिया है। इनमें से एक नेता, अल्मोड़ा से मेयर पद के टिकट से वंचित होने के बाद कांग्रेस को अलविदा कह चुके बिट्टू कर्नाटक, जिन्होंने हरीश रावत को अपनी राजनीति का ‘पिता’ माना था, इस घटना का एक ज्वलंत उदाहरण हैं। कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने भी इस बात को माना है कि इन नेताओं के मन में पार्टी के प्रति गुस्सा था। हालांकि, रावत ने इस बदलाव पर अपनी चिंता जताते हुए एक फेसबुक पोस्ट में उन नेताओं से माफी भी मांगी थी, जिनकी दावेदारी निकाय चुनाव में खारिज कर दी गई थी। लेकिन एक बात साफ है कांग्रेस अब अपने कुमाऊं गढ़ में एक बार फिर से संघर्ष करने की स्थिति में आ गई है। वही दूसरी ओर उत्तराखंड में निकाय चुनाव की सरगर्मी के बीच कांग्रेस ने बड़ा एक्शन लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और संगठन के उपाध्यक्ष मथुरादत्त जोशी के इस्तीफे के कुछ ही देर बाद पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।

मथुरादत्त जोशी के इस्तीफे ने कांग्रेस में एक उथल-पुथल मचा दी है। जोशी पार्टी में 45 साल से अधिक समय से सक्रिय थे और उनके इस्तीफे के साथ ही टिकट वितरण पर उठे सवालों ने कांग्रेस के भीतर असंतोष को उजागर किया। जोशी इस बात से नाराज थे कि इतनी लंबी सेवा के बावजूद उनकी पत्नी को पिथौरागढ़ मेयर का टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं पर खनन और शराब माफिया को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए।

जोशी के इस बयानबाजी ने पार्टी में असहजता का माहौल बना दिया था। संगठन के स्तर पर उनकी आलोचना की जा रही थी और शनिवार को उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद, प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने उन्हें पार्टी की नीतियों के खिलाफ दुष्प्रचार करने और पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाने के आधार पर छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।

कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहर दसौनी ने जोशी के इस्तीफे और निष्कासन पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “जोशी का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत हानि है। इतने सालों तक पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और सेवा के बाद उनका जाना बहुत ही दुखद है। मुझे लगता है राज्य में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसके साथ उनका संपर्क न रहा हो।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *