Monday, December 15

बरेली।पहली बार बरेली पहुंची महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु राज्यपाल आनंदी बेन व मुख्यमंत्री योगी ने किया स्वागत

पहली बार बरेली पहुंची महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु राज्यपाल आनंदी बेन व मुख्यमंत्री योगी ने किया स्वागत

आईवीआरआई के दीक्षांत समारोह में हुई शामिल मेघावी छात्र छात्राओं को की सम्मानित 

मुजीब खान/उदय यादव

बरेली। देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सोमवार सुबह 9:50 बजे विशेष वायुयान से बरेली पहुंचीं। त्रिशूल एयरबेस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति यहां करीब एक घंटा 40 मिनट रुकी उसके बाद गोरखपुर के लिए रवाना हो गई इस दौरान वह इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई । राष्ट्रपति के दौरे को लेकर प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने शहर को छावनी में तब्दील कर दिया था त्रिशूल एयरबेस से लेकर आईवीआरआई तक रूट पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल और मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा ।

कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने आईवीआरआई के दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को पीएचडी की उपाधि और मेडल प्रदान किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा- बीमारी के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इसमें आईवीआरआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा- मैं जिस परिवेश से आती हूं वो प्रकृति के निकट है। राष्ट्रपति ने कहा- 1889 में स्थापित इस संस्थान ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों की ओर से किए गए शोध कार्यों और इस संस्थान के नाम दर्ज अनेक पेटेंट्स, डिजाइन, कॉपीराइट्स की भी चर्चा की। उन्होंने कहा- प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर’ कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है। बीमारियों के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इस संस्थान के लिए गर्व का विषय़ है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए।

राष्ट्रपति ने उपाधि व पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा-पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर गर्व हो रहा है कि बेटियां अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत है। उन्होंने कैटल शेड की चर्चा करते हुए कहा कि मां, बहन गायों की सेवा करती थीं। गायों व पशुओं से माता-बहनों का जुड़ाव अधिक है। इस क्षेत्र में बेटियों का जुड़ाव देखकर बहुत अच्छा लगा।

उन्होंने कहा कि मानव, जानवर, वनस्पति व पर्यावरण एक-दूसरे पर हैं आश्रित राष्ट्रपति ने कहा- वन हेल्थ की अवधारणा महत्वपूर्ण होती जा रही है। माना जाता है कि मानव, घरेलू तथा जंगली जानवर, वनस्पति व व्यापक पर्यावरण एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हमें अपनी परंपरा व इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु कल्याण के लिए प्रयास करना चााहिए। प्रमुख पशु संस्थान के रूप में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट जेनेटिक बीमारियों के नियंत्रण और रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है। उसका उपयोग जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गांव-गांव में घरेलू पशु नहीं दिख रहे हैं। यह पशु खेती में सहयोग करते हैं। आज टेक्नोलॉजी तो आई, लेकिन जमीन में खेती के साथी केंचुआ आदि समाप्त हो रहे हैं। इससे जमीन बंजर हो रही है। जमीन उर्वरता के लिए किसानों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों व आमजन को सोचना चाहिए। पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य होना चाहिए।

टेक्नोलॉजी के प्रयोग से लाए जा सकते हैं क्रांतिकारी बदलाव : — राष्ट्रपति ने कहा- टेक्नोलॉजी अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। टेक्नोलॉजी के प्रयोग से देश भर के पशु चिकित्सा को सशक्त बनाया जा सकता है। जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी, एआई, बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे टेक्नोलॉजी के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके आईवीआरआई जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान और पोषण उपलब्ध कराने के लिए स्वदेशी व सस्ते उपाय ढूंढने चाहिए। साथ ही उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके साइड इफेक्ट्स न केवल पशुओं, बल्कि मनुष्यों व पर्यावरण को भी प्रभावित करते रहे हैं।

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