
श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मानव के जन्म-जन्म अंतर के पाप दूर होते हैं।
शरद बिंद/भदोही।
दुर्गागंज। अभोली ब्लॉक के मानी डीह गांव में मंगलवार को संगीत मई कथा के छठे दिन आचार्य व्यास लोलारख नाथ ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणि के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं। उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि रुक्मणि विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणि ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।
रुक्मणि का बड़ा भाई श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणि को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्माण संदेशवाहक से श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणि का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मणी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण ने रुक्मणि को पराजित कर द्वारिकापुरी में प्रवेश किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणि से विवाह किया। साथ में संगत कर रहे लक्ष्मीकांत पांडे आर्गन पर चंदन उपाध्याय,तबला पर , आशीष, रवि मिश्रा साउंड पर महादेव साथ दिया।इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी, महेंद्र कुमार राय, सुमन देवी ,उमाकांत राय, कमलाकांत राय, सूरज राय, हरिओम राय, पप्पू तिवारी सिंटू मिश्रा राजू पांडे।

